• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    الإنابة إلى الله (خطبة)
    د. أيمن منصور أيوب علي بيفاري
  •  
    فضل الأذكار بعد الصلاة
    د. خالد بن محمود بن عبدالعزيز الجهني
  •  
    فوائد وأحكام من قوله تعالى: {كل الطعام كان حلا ...
    الشيخ أ. د. سليمان بن إبراهيم اللاحم
  •  
    خطبة: مولد أمة وحضارة
    يحيى سليمان العقيلي
  •  
    محبة الرسول صلى الله عليه وسلم اتباع لا ابتداع ...
    د. صغير بن محمد الصغير
  •  
    البركة مع الأكابر (خطبة)
    الشيخ عبدالله بن محمد البصري
  •  
    فوائد الإجماع مع وجود الكتاب والسنة
    عمرو عبدالله ناصر
  •  
    بين النبع الصافي والمستنقع
    أ. شائع محمد الغبيشي
  •  
    ذم الحسد وآثاره المهلكة في الفرد والمجتمع
    د. ثامر عبدالمهدي محمود حتاملة
  •  
    فضل الصلاة على الجنازة
    الشيخ صلاح نجيب الدق
  •  
    تخريج حديث: كان أحب ما استتر به النبي صلى الله ...
    الشيخ محمد طه شعبان
  •  
    بر الوالدين: (وزنه، كيفية البر في الحياة وبعد ...
    د. محمد أحمد صبري النبتيتي
  •  
    أنج بنفسك
    نبيل بن عبدالمجيد النشمي
  •  
    النبي القدوة -صلى الله عليه وسلم- في الرد على من ...
    السيد مراد سلامة
  •  
    وصايا نبوية غالية
    رمضان صالح العجرمي
  •  
    أعط البلاء حجمه فقط
    عبدالله بن عبده نعمان العواضي
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

من أحكام اللباس (خطبة باللغة الهندية)

من أحكام اللباس (خطبة باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 23/1/2023 ميلادي - 2/7/1444 هجري

الزيارات: 3902

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

वस्त्र के अह़काम व मसले


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़ुर रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


ए मोमिनो हमारे पालनहार की ओर से तक़्वा (धर्मनिष्ठा) का आदेश शब्द के साथ 54 बार आया है,जब अल्लाह तआ़ला ने ह़ज्ज की यात्रा में लोगों को खाने पीने का संवेदी पाथेय रखने का आदेश दिया तो उस के पश्चात वास्तविक पाथेय से सुचित किया जिस का लाभ जारी रहता है,दुनिया में भी और आख़ेरत में भी:

﴿ فَإِنَّ خَيْرَ الزَّادِ التَّقْوَى ﴾

अर्थात:उत्तम पाथेय अल्लाह की आज्ञाकारिता है।


क्या हम ने कभी इस अर्थ को मह़सूस किया एक दूसरे स्थान पर अल्लाह तआ़ला ने बनी आदम पर उस वस्त्र का इह़सान जताया है जो उन की गुप्तांगों को छुपाता और जिस के द्वारा वह सुन्दरता अपनाता हैं:

﴿ يَا بَنِي آدَمَ قَدْ أَنزَلْنَا عَلَيْكُمْ لِبَاساً يُوَارِي سَوْءَاتِكُمْ وَرِيشاً ﴾

अर्थात:हे आदम के पुत्रो हम ने तुम पर ऐसा वस्त्र उतार दिया है जो तुम्हारे गुप्तांगों को छुपाता,तथा शोभा है।


इसके पश्चात मानवी वस्त्र की ओर इशारा किया जो कि सर्वश्रेष्ठ और सबसे महत्वपूर्ण वस्त्र है,फरमाया:

﴿ وَلِبَاسُ التَّقْوَىَ ذَلِكَ خَيْرٌ ﴾

अर्थात:और अल्लाह की आज्ञाकारिता का वस्त्र ही सर्वेात्तम है।


जब आप वस्त्र के द्वारा सुन्दरता अपनाएं तो यह भी याद रखें कि आंतरिक एवं बाह्य रूप से तक़्वा (धर्मनिष्ठा) अलंकृत होना अधिक सुन्दरता का कारण है,इब्ने अ़ब्बास रज़ीअल्लाहु अंहु फरमाते हैं: तक़्वा का वस्त्र सदाचार है।और उ़रवा बिन ज़ोबैर फरमाते हैं: (तक़्वा का वस्त्र) अल्लाह का भय है।


आदरणीय सज्जनो वह आयत जिस में अल्लाह ने हमारे उूपर वस्त्र के उपकार का इह़सान जताया,उसके पश्चात वाली आयत में अल्लाह ने मनुष्यों को सचेत करते हुए फरमाया:

﴿ يَا بَنِي آدَمَ لاَ يَفْتِنَنَّكُمُ الشَّيْطَانُ كَمَا أَخْرَجَ أَبَوَيْكُم مِّنَ الْجَنَّةِ يَنزِعُ عَنْهُمَا لِبَاسَهُمَا لِيُرِيَهُمَا سَوْءَاتِهِمَا إِنَّهُ يَرَاكُمْ هُوَ وَقَبِيلُهُ مِنْ حَيْثُ لاَ تَرَوْنَهُمْ ﴾

अर्थात:हे आदम के पुत्रो ऐसा न हो कि शैतान तुम्हें बहका दे जैसे तुम्हारे माता-पिता को स्वर्ग से निकाल दिया,उन के वस्त्र उतरवा दिये ताकि उन्हें उन के गुप्तांग दिखा दे,वास्तव में वह तथा उस की जाति तुम्हें ऐसे स्थान से देखते हैं जहाँ से तुम उन्हें नहीं देख सकते।


ज्ञात हुआ कि इबलीस की शत्रुता पुरानी है,हमारे पिता आदम अलैहिस्सलाम के युग से ही वह हमारा शत्रु है,उस ने आदम अलैहिस्सलाम को उपकारों वाले घर स्वर्ग से निकालने का पूरा प्रयास किया,ताकि आप कठिनाई वाली दुनिया में आकर बस जाएं,आप को निर्वस्त्र करने का कारण बना जब कि आप की गुप्तांगें ढकी हुई थीं,उसका कारण यह था कि वह (आदम का) बड़ा शत्रु था,ज्ञात हुआ कि निर्वस्त्रताव नग्नताइब्लीस का काम है,आज हम वस्त्र से संबंधित कुछ ऐसे मसले पर विचार करेंगें जो इस्लामी प्रमाणों के विरुद्ध हैं,अन्यथा वास्तविकता तो यह है कि प्रत्येक प्रकार के वस्त्र मबाह़ (इस्लाम में वह कार्य जो जिसके करने पे पुण्य न करने पर पाप न हो) हैं,जब नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा गया कि: मनुष्य पसंद करता है कि उसका वस्त्र और उस की जूतियां सुन्दर हों,तो आप ने फरमाया:अल्लाह तआ़ला सुन्दर है औश्र सुन्दरता को पसंद फरमाता है ।जैसा कि सह़ीह़ मुस्लिम में आया हुआ है।अल्लाह का प्रदान अति विस्तृत है,वह अपने बंदे को किसी चीज़ से उसी समय रोकता है जब उस के पीछे बड़ी नीति छुपी होती है,वह अति ज्ञानी,अति तत्वज्ञव सूचित और विस्तृत कृपा वाला है।हम यहाँ वस्त्र से संबंधित कुछ प्रेरकोंका बयान करने जा रहे हैं:

प्रत्येक वह वस्त्र अवैध है जो गुप्तांग को दिखाता हो अथवा इतना तंग अथवा पतलाऔर छोटा हो कि गुप्तांग स्पष्ट हो,फतवा हेतु स्थायी समिति के उत्तर में आया है: इतना पतलावस्त्र पहनना वैध नहीं है जिस से गुप्तांग दिखाई देता हो,और न इतना तंग वस्त्र वैध है जिससे शरीर के समस्त जोड़ स्पष्ट होते हैं ।


इस लिए वस्त्र का विस्तृत,मोटा और बापर्दा होना अनिवार्य है,वह इस प्रकार से कि न उससे गुप्तांग दिखाइदे,न इतना तंग और पतलाहो कि गुप्तांग दिखता हो,यह एक बड़ी गलती है जिस का करना अवैध है,कुछ महिलाएं ऐसा कर रही हैं,अर्थात तंग और पतलावस्त्र पहनने से नहीं बचतीं,कभी कभी आप बाजारों में देखते होंगे कि प्रचुरता से इस प्रकार के वस्त्र बिक रहे हैं,जो कि चिंताजनक बात है,ऐसी स्थितियें में हमें अपने धर्म की रक्षा की चिंता करनी चाहिए,तुम में से प्रत्येक उत्तरदायीएवं अभिभावक है और उससे उसके परजा के विषय में प्रश्न किया जाएगा,और व्यवस्थापणव सरपरस्ती आप को प्राप्त है ए पुरोषो इस की चेतावनी और निषेध के लिये सह़ीह़ मुस्लिम की यह मरफूअ़ ह़दीस ही प्रयाप्त है: नरकवासियों के दो प्रकार हैं जिन को मैं ने नहीं देखा।एक तो वे लोग जिन के पास बैलों के पूंछों के जैसे कोड़े हैं,वे लोगो को उससे मारते हैं।दूसरे वे महिलाएं जो पहनती हैं मगर निवस्त्र हैं (अर्थात अंग छुपाने युग्य वस्त्र नहीं हैं),सुपथ (सीधा मार्ग) से बहकने वाली,स्वयं बहकने वाली


और उन के सर बख्ती (उूंट के एक प्रकार है) उूंट की कोहान के जैसे एक ओर झुके हुए हैं,वह स्वर्ग में न जाएंगी बल्कि उसके सुगंध भी उन को न मिलेगी जबकि स्वर्ग की सुगंध उतनी दूर से आरही होगी ।


वह वस्त्र भी अवैध है जिसमें काफिरों की समानताहो,जैसे उनका विशेष वस्त्र,अथवा जिस में उन की कोई हपचान अथवा कोई शिआ़र (चिन्ह) हो,अत: प्रत्येक वह व्स्त्र जो काफिरों के साथ विशेष हो और दूसरे लोग उसे न पहनते हों,तो किसी मुसलमान पुरूष अथवा महिला के लिए इस प्रकार का वस्त्र पहनना वैध नहीं,चाहे वह वस्त्र पूरे शरीर को छुपाता हो अथवा किसी एक अंग को,इसका प्रमाण अबूदाउूद की यह मरफूअ़ रिवायत है: जिसने किसी समुदाय से समानताअपनाई तो वह उन्हीं में से हुआ ।


अ़ल्लामा ओ़सैमीन रह़िमहुल्लाह वस्त्र का नियम बयान करते हुए फरमाते हैं: समानतायह है कि मनुष्य ऐसा वस्त्र पहने जो उन (काफिरों) के लिए विशेष हो,वह इस प्रकार से कि उस वस्त्र में कोई दूसरा वस्त्र उनके साथ न हो,जैसे वह वस्त्र जिसे केवल काफिर पहनते हैं,किन्तु यदि वह ऐसा वस्त्र हो जो काफिर और मुसलमान सब पहनते हों तो यह समानतानहीं है ।


उन काफिरों के समानताअपनाने का मतलब यह है कि समानताअपनाने वाले के अंदर यह भावना व चेतनापाया जाता है कि वह काफिर उससे उच्च व श्रेष्टतरहैं,जिन की भुमिका पर वह मोहितहै और जिन के रूप पर माहितहै,उसका यह परिणाम भी हो सकता है कि आस्था एवं अ़मल और आदत व व्यवहार के अध्यायमें वह उस का अनुमगन करने लगे।


यहाँ यह संकेतभी उुचित है कि ऐसा खेल पोशाकजिस पर काफिर खिलाड़ी का नामा लिखा हो,उसे पहनना अवैध है।


जिस वस्त्र से पुरुषों के लिए महिलाओं की समानताऔर महिलाओं के लिए पुरुषों की समानताहो,वह भी अवैध है,वे समस्त वस्त्र जो एक लिंग (महिला अथवा पुरुष) के लिए विशेष हो,चाहे पूरे शरीर का हो जैसे जुब्बा,अथवा किसी विशेष अंग के लिए हो जैसे इजार और टोपी,तो दूसरे लिंग के लिए उसे पहनना अवैध नहीं है,जैसाकि सह़ीह़ और स्पष्ट मूलपाठसे स्पष्ट है,उदाहरण स्वरूप बोख़ारी ने इब्ने अ़ब्बास रज़ीअल्लाहु अंहुमा से वर्णन किया है वह फरमाते हैं कि: रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन पुरुषों पर लानत की है जो महिलाओं की चाल ढाल अपनाए और उन महिलाओं पर भी अभिशापकी है जो पुरुषों की समानताअपनाती हैं ।


अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि:रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस पुरुष पर लानत की है जो महिला का वस्त्र पहने और उस महिला पर भी लानत की है जो पुरुषों का वस्त्र पहने ।अल्बानी ने इस ह़दीस को मुस्लिम की शर्त पर सह़ीह़ कहा है।


अल्लाह तआ़ला हमें और आप को क़ुर्आन व सुन्नत की बरकतों से लाभान्वित फरमाए और उन में जो आयत व नीति है,उन्हें हमारे लिए लाभदायक बनाए,आप सब अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील एवं दयालु है।


द्वतीय उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात:

जिन वस्त्रों का निषेध आया है उन में प्रसिद्धि का वस्त्र भी है,अर्थात वह वस्त्र जो अवामुननास के वस्त्र से अलग हो,आकर्शक हो,आश्चर्यजनक और विचित्रहो,जैसा कि फतवा हेतु स्थायी समिति के उत्तर में आया है,महिलाओं में यह रुझान अधिक पाया जाता है कि बहुमूल्य वस्त्र पहना जाए जाकि लोगों की निगाहे उस की ओर उठें और उसे प्रसिद्धि प्राप्त हो,इस कारण से अकसर व्यक्ति किब्र व गुरुर और घमंड का शिकार हो जाता है,अह़मद,अबूदाउूद और इब्ने माजा ने इब्ने उ़मर से मरफूअ़न वर्णन किया है कि: जो व्यक्ति प्रसिद्धि वाला वस्त्र पहनेगा,अल्लाह तआ़ला प्रलय के दिन उसे अपमानता का वस्त्र पहनाएगा ।इस ह़दीस को अल्बानी ने ह़सन कहा है।


इमाम अह़मद रह़िमहुल्लाह ने एक व्यक्ति को देखा कि वह ऐसी चादर ओढ़े हुआ है जिस में सफेद और काली धारियां हैं,तो फरमाया कि इस उतार दो और तुम्हारे नगर के लोग जो वस्त्र पहनते हैं,वही वस्त्र पहनो।


इस वस्त्र के ह़ुकम में विद्धानों के दो कथन हैं:कराहत (संदिग्ध) एवं तह़रीम (निषेध),यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि:यह ज़रूरी नहीं कि प्रसिद्धि का वस्त्र महंगाहो,बल्कि यह रद्दी और तुच्छ प्रकार का वस्त्र भी हो सकता है,इब्ने तैमिया रह़िमह़ल्लाह लिखते हैं: प्रसिद्धि का वस्त्र मकरूह (संदिग्ध) है,इसका आशय वह वस्त्र है जो सामन्य आदत से अधिक रद्दी और तुच्छ हो,पूर्वज दानों प्रकार की प्रसिद्धि को मकरूह (संदिग्ध) मानते थे:अधिक महंगाऔर अधिक रद्दी... उनकी बात समाप्त हुई


आज कल हमारे युवाओं का एक समूह ऐसा है जो अजब और निन्दाजनक वस्त्र में नज़र आता है,किन्तु अलह़मदोलिल्लाह ऐसे लोगों की संख्या कम है,उन का वस्त्र वास्तव में हमारे धर्म,मूल्यों व परंपरा एवं सामाजिक रखरखाव के लिए शर्म का कारण है।ये ऐसा वस्त्र पहनते हैं जो पूरे रूप से शरीर को नहीं ढकता और ऐसे दृश्य के साथ प्रकट होते हैं जिसे पुरुष का आत्म सम्मान,ठीक स्वभाव और सज्जनतागवारा नहीं करती।


इस फैशन में विरोध एवं निषेध के अनेक कारण पाए जाते हैं,उदाहरण स्वरूप:पूर रूप से गुप्तांग को छुपाना नहीं है।यह वस्त्र नग्नताकी ओर बोलाता है।यह प्रसिद्धि का वस्त्र है।इस में काफिरों की समानतापाई जाती है।मूल्यों व परंपरा के विरोध के साथ साथ वह सज्जनताऔर सामान्य स्वभाव के भी विरुध है।


हम अल्लाह से दुआ़ करते हैं कि हमारे युवाओं और बुज़ुर्गोंको सत्यता एवं हिदायत प्रदान करे।हे अल्लाह हमें सत्यता की बसीरत प्रदान फरमा और उसके अनुगमन की तौफीक़ प्रदान फरमा।हे अल्लाह हमें सर्वोत्तम अखलाक की हिदायत नसीब फरमा।

 

صلى الله عليه وسلم.

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • من أحكام اللباس
  • من أحكام اللباس
  • من أحكام اللباس (باللغة الأردية)

مختارات من الشبكة

  • خطبة: {وأنيبوا إلى ربكم} (باللغة البنغالية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من مشكاة النبوة (5) "يا أم خالد هذا سنا" (خطبة) - باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة في فقه الجزية وأحكام أهل الذمة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: الصمت حكمة وقليل فاعله(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: التدافع سنة ربانية وحكمة إلهية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • حقوق كبار السن (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • إجلال كبار السن (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الإنابة إلى الله (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: مولد أمة وحضارة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • محبة الرسول صلى الله عليه وسلم اتباع لا ابتداع (خطبة)(مقالة - موقع د. صغير بن محمد الصغير)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • مركز ديني وتعليمي جديد بقرية كوياشلي بمدينة قازان
  • اختتام فعاليات المسابقة الثامنة عشرة للمعارف الإسلامية بمدينة شومن البلغارية
  • غوريكا تستعد لإنشاء أول مسجد ومدرسة إسلامية
  • برنامج للتطوير المهني لمعلمي المدارس الإسلامية في البوسنة والهرسك
  • مسجد يستضيف فعالية صحية مجتمعية في مدينة غلوستر
  • مبادرة "ساعدوا على الاستعداد للمدرسة" تدخل البهجة على 200 تلميذ في قازان
  • أهالي كوكمور يحتفلون بافتتاح مسجد الإخلاص الجديد
  • طلاب مدينة مونتانا يتنافسون في مسابقة المعارف الإسلامية

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 15/3/1447هـ - الساعة: 16:8
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب