• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    وقفات مع اسم الله العليم (خطبة)
    رمضان صالح العجرمي
  •  
    مقاربات بيانية إيمانية لسورة الفجر
    د. بن يحيى الطاهر ناعوس
  •  
    تخريج حديث: من أتى الغائط فليستتر
    الشيخ محمد طه شعبان
  •  
    من أقوال السلف في معاني أسماء الله الحسنى: ...
    فهد بن عبدالعزيز عبدالله الشويرخ
  •  
    الحديث الأول: تصحيح النية وإرادة وجه الله بالعمل ...
    الدكتور أبو الحسن علي بن محمد المطري
  •  
    الاتحاد والاعتصام من أخلاق الإسلام
    د. حسام العيسوي سنيد
  •  
    الثبات عند الابتلاء بالمعصية (خطبة)
    د. محمد بن مجدوع الشهري
  •  
    اللسان بين النعمة والنقمة (خطبة)
    عبدالعزيز أبو يوسف
  •  
    فخ استعجال النتائج
    سمر سمير
  •  
    من مائدة الحديث: خيرية المؤمن القوي
    عبدالرحمن عبدالله الشريف
  •  
    وفاء القرآن الكريم بقواعد الأخلاق والآداب
    عمرو عبدالله ناصر
  •  
    خطبة: كيف أتعامل مع ولدي المعاق؟
    عدنان بن سلمان الدريويش
  •  
    تذكير (للأحياء) من الأحياء بحقوق الأموات عليهم!
    أ. د. عبدالله بن ضيف الله الرحيلي
  •  
    الوسيلة والفضيلة
    نورة سليمان عبدالله
  •  
    حقوق الطريق (2)
    د. أمير بن محمد المدري
  •  
    حديث: حسابكما على الله، أحدكما كاذب لا سبيل لك ...
    الشيخ عبدالقادر شيبة الحمد
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

الله الغفور الغفار (خطبة) (باللغة الهندية)

الله الغفور الغفار (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 24/10/2022 ميلادي - 29/3/1444 هجري

الزيارات: 4752

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

अल्‍लाह तआ़ला:ग़फ़ूर क्षमाशील एवं ग़फ़्फा़र अति क्षमाशील है


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्‍चात


मैं आप को और स्‍वयं को अल्‍लाह का तक्‍़वा धर्मनिष्‍ठा अपनाने की वसीयत करता हूँ:

﴿ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَآمِنُوا بِرَسُولِهِ يُؤْتِكُمْ كِفْلَيْنِ مِنْ رَحْمَتِهِ وَيَجْعَلْ لَكُمْ نُورًا تَمْشُونَ بِهِ وَيَغْفِرْ لَكُمْ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ ﴾ [الحديد: 28]

अर्थात:हे लोगों जो ईमान लाये हो अल्‍लाह से डरो और ईमान लाओ उस के रसूल पर वह तुम्‍हें प्रदान करेगा दोहरा प्रतिफल अपनी दया से,तथा प्रदान कदेगा तुम्‍हें ऐसा प्रकाश जिस के साथ तुम चलोगे,तथा क्षमाक्षमा कद देगा तुम्‍हें, और अल्‍लाह अति क्षमी दयावान् है


रह़मान के बंदो अल्‍लाह पाक के विषय में बात करने से हमारे हृदय में करुणा उतपन्‍न होता है,ईमान में वृद्धि होता है,और जब ईमान में शक्ति आती है तो मोमिन आज्ञाकारिता एवं प्रार्थना के लिए ध्‍यान लगाता है और अवज्ञा से दूर होता है,जि़क्र और ज्ञान के सभा का महत्‍व भी सिद्ध है कि देवदूत उन सभाओं को घेर लेते हैं और रह़मत दया उस पर छायाबन जाती है,उन सभाओं पर शांति एवं प्रतिष्‍ठा नाजि़ल होती है,अल्‍लाह तआ़ला अपने पास देवदूतों उनका जि़क्र करता है और उनको क्षमा प्रदान करता है,हम अल्‍लाह तआ़ला से उसका उपकार मांगते हैं,आज हम अल्‍लाह के शुभ नाम(الغفور) के विषय में चर्चा करेंगे


ऐ ईमानी भा‍इयो अल्‍लाह तआ़ला के क्षमा में पाप का क्षमा और बंदा का ऐब छुपाना भी शामिल होता है,अल्‍लाह के शुभ नाम (الغفور)का समानार्थी शब्‍द: (غافر الذنب) भी है,यह नाम अल्‍लाह तआ़ला के कथन में आया है:

﴿ غَافِرِ الذَّنْبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ شَدِيدِ الْعِقَابِ ذِي الطَّوْلِ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ إِلَيْهِ الْمَصِيرُ ﴾ [غافر: 3]

अर्थात:पाप क्षमा करने,तौबा स्‍वीकार करने,क्षमायाचना का स्‍वीकारी,कड़ी यातना देने वाला,समाई वाला जिस के सिवा कोई सच्‍चा वंदनीय नहीं उसी की ओर सब को जाना है


(الغفور)का एक समानार्थी शब्‍द: (الغفار) भी है,क़ुरान पाक में यह नाम पाँच स्‍थानों पर आया है,उनमें अल्‍लाह का यह कथन भी है:

﴿ وَإِنِّي لَغَفَّارٌ لِمَنْ تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ثُمَّ اهْتَدَى ﴾ [طه: 82]

अर्थात:और मैं निश्‍चय बड़ा क्षमाशील हूँ उस के लिये जिस ने क्षमा याचना की,तथा ईमान लाया और सदाचार किया फिर सुपथ पर रहा


शैख सादी अल्‍लाह के इस कथन:

﴿ لَغَفَّارٌ ﴾

के विषय में फरमाते हैं:अर्थात:‍अति अधिक क्षमा करने वाला और अति दया करने वाला


रही बात नाम (الغفور) की तो यह शुभ नाम क़ुरान में एकानवे 91 स्‍थानों पर आया है,उनमें से यह नाम बहत्‍तर 72 सथानों पर नाम (الرحیم) के साथ आया है,गोया कि यह कारण को परिणाम के साथ जिक्र करने जैसा है,क्‍योंकि बंदों को अल्‍लाह तआ़ला की क्षमा उसके कृपा के कारण ही प्राप्त होती है,तथा नाम(الغفور) नाम(العزیز) के साथ भी आया है:


﴿ خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ يُكَوِّرُ اللَّيْلَ عَلَى النَّهَارِ وَيُكَوِّرُ النَّهَارَ عَلَى اللَّيْلِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِي لِأَجَلٍ مُسَمًّى أَلَا هُوَ الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ ﴾ [الزمر: 5]

अर्थात:उस ने पैदा किया है आकाशों तथा धरती को सत्‍य के आधार पर,वह लपेट देता है रात्रि को दिन पर तथा दिन को रात्रि पर तथा वशवर्ती किया है सूर्य और चन्‍द्रमा को,प्रत्‍येक चल रहा है अपनी निर्धारित अ‍वधि के लिये,सावधान वही अत्‍यंत प्रभावशाली क्षमी है


इन दोनों नामों के बीच सम्मिलन का कारण यह है कि अल्‍लाह की क्षमा उसके आदर एवं सत्‍कार और शक्ति व समर्थ के साथ प्राप्‍त होती है,न कि दुर्बलता व वि‍वशता के कारण,यही कारण है कि लोग उस व्‍यक्ति का सम्‍मान करते हैं जो समर्थ के बावजूद माफ करदे


इसी प्रकार नाम (الغفور) का जिक्र नाम(الودود ) के साथ भी हुआ है,अल्‍लाह पाक फरमाता है:

﴿ وَهُوَ الْغَفُورُ الْوَدُودُ ﴾ [البروج: 14]

अर्थात:और वह अति क्षमा तथा प्रेम करने वाला है


इस आयत में बंदा के लिए खुशखबरी है कि अल्‍लाह बंदा को माफ करता और उससे प्रेम भी रखता है,जैसा कि अल्‍लाह पाक ने अपनी हस्‍ती के बारे में फरमाया:

अर्थात:निश्‍चय अल्‍लाह तौबा करने वालों तथा पवित्र रहने वालों से प्रेम करता है

﴿ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ التَّوَّابِينَ وَيُحِبُّ ﴾ [البقرة: 222]

जबकि मनुष्‍य की यह स्थिति है कि यदि वह क्षमा कर भी दे तो प्रेम नहीं करता,और कभी क्षमा करता है तो भय एवं दुर्व्‍यवहार बाकी रहता है,किन्‍तु अल्‍लाह जो الغفور الکریم क्षमाशील एवं दयावान है वह ऐसा नहीं करता


शुभ नाम (الغفور) का जिक्र (العفُوّ) के साथ भी हुआ है:

﴿ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَفُوًّا غَفُورًا ﴾ [النساء: 43]

अर्थात:वास्‍तव में अल्‍लाह अति क्षान्‍त सहिष्‍णु क्षमाशील है


ये दोनों शुभ नाम समानार्थी शब्‍द हैं,इनके अंदर पकड़ और पूछ-गछ न करने का अर्थ पाया जाता है,किन्तु(الغفور) के अंदर दोष छुपाने का भी अर्थ पाया जाता है,इसी से भूतकाल में मोजाहिद अपनी टोपी के नीचे जि़रह से जुड़ा हुआ जो ख़ूद पहनता था,उसे अ़रबी में مِغفَر कहा जाता है,ताकि वह उसकी रक्षा करे और साथ ही उस के सर को छुपाए भी रखे


अल्‍लाह के बंदो अल्‍लाह तआ़ला ने अपनी हस्‍ती को غفور का नाम दिया है,क्‍योंकि जब उस ने मखलूक की रचना की तो वह जानता था कि वह पाप करेगा और क्षमा मांगेगा,सह़ी ह़दीस में आया है कि: उस हस्‍ती की कसम जिसके हाथ में मेरा प्राण है यदि तुम लोग पाप न करो तो अल्‍लाह तआ़ला तुम को इस संसार से ले जाएगा और तुम्‍हारे बदले में ऐसी क़ौम को ले आए जो पाप करें और अल्‍लाह से क्षमा प्राप्‍त करें तो वह उनकों क्षमा प्रदान फरमाए मुस्लिम


अबूहोरैरा रज़ीअल्‍लाहु अंहु से वर्णित है,उन्‍हों ने बयान किया कि मैं ने नबी सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम से सुना,आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया कि: एक बंदे ने अनेक पाप किए और कहा:हे मेरे रब मैं तेरा ही बंदा पापी बंदा हूँ तू मुझे क्षमा प्रदान कर अल्‍लाह तआ़ला ने फरमाया:मेरा बंदर जानता है कि उसका कोई रब अवश्‍य है जो पाप को क्षमा प्रदान करता है और पाप के कारण यातना भी देता है,मैं ने अपने बंदे को क्षमा कर दिया फिर बंदा रुका रहा जितना अल्‍लाह ने चाहा और फिर उसने पाप किया और कहा:हे मेरे रब मैं ने दोबारा पाप कर लिया,इसे भी क्षमा करदे,अल्‍लाह तआ़ला ने फरमाया:मेरा बंदा जानता है कि उसका रब अवश्‍य है जो पाप को क्षमा प्रदान करता है और उसके बदले में यातना भी देता है,मैंने अपने बंदे को माफ कर दिया फिर जब तक अल्‍लाह ने चाहा बंदा पाप से रुका रहा और फिर उसने पाप किया और अल्‍लाह के दरबार में आके अनुरोध किया:हे मेरे रब मैं ने फिर पाप कर लिया है तू मुझे क्षमा कर दे,अल्‍लाह तआ़ला ने फरमाया:मेरा बंदा जानता है कि उसका एक रब अवश्‍य है जो पाप को क्षमा कर देता है और उसके कारण यातना भी देता है,मैं ने अपने बंदे को क्षमा प्रदान किया तीन बार,फिर अब जो चाहे अ़मल करे बोखारी व मुस्लिम


यदि आप के पास शैतान पाप को आसान और छोटा बना कर प्रस्‍तुत करे तो आप उसे कहें कि हे ख़बीस:

﴿ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِينَ ﴾ [التوبة: 4]

अर्थात:निश्‍चय अल्‍लाह आज्ञाकारियों से प्रेम करता है


और कहें कि:हे अपमानित व बदनाम:

﴿ إِنَّ الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ لَهُمْ مَغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ ﴾ [الملك: 12]

अर्थात:नि:संदेह जो डरते हों अपने पालनहार से बिन देखे उन्‍हीं के लिए क्षमा है तथा बड़ा प्रतिफल है


मेरे मित्रो अल्‍लाह पाक ने जब ईसाइयों के कथन का उल्‍लेख किया:

﴿ إِنَّ اللَّهَ ثَالِثُ ثَلَاثَةٍ ﴾ [المائدة: 73]

अर्थात:अल्‍लाह तीन का तीसरा है


तो उसके पश्‍चात फरमाया:

﴿ أَفَلَا يَتُوبُونَ إِلَى اللَّهِ وَيَسْتَغْفِرُونَهُ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ ﴾ [المائدة: 74]

अर्थात:वह अल्‍लाह से तौब:तथा क्षमा याचना क्‍यों नहीं करते जब कि अल्‍लाह अति क्षमाशील दयावान् है


हे अल्‍लाह हमारे उन पापों को क्षमा करदे जो हमने पूर्व में‍ किए,जो पश्‍चात में किए,जो छुपा के किए और जो खुले में किए और हम पतिबंधों का उल्लंघन करते रहे और उन पापों को भी जो तू हम से अधिक जानता है,तू ही जिसे चाहे आगे करने वाला और जिसे चाहे पीछे करने वाला हे, पुण्‍य की तौफीक़ देता है अथवा वंचित करदेता है तेरे अतिरिक्‍त और कोई पूज्‍य नहीं


﴿ رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَأَنْتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ ﴾ [المؤمنون: 118]

अर्थात:मेरे पालनहार तू क्षमा कर तथा दया कर,और तू ही सब दयावानों से उत्‍तम दयावान् है


द्वितीय उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्‍चात:

الغفور अल्‍लाह का कृपा है कि उसने हमारे लिए बहुत से अ़मलों को पापों की क्षमा का कारण बनाया है,अत: तौह़ीद एकेश्‍वरवाद ,पाँच समय की नमाज़ें,नमाज़ के लिए चल कर जाने,नमाज़ के पश्‍चात मस्जिद में बैठे रहने,एक नमाज़ के पश्‍चात दूसरी नमाज़ का प्रतिक्षा करने को क्षमा की प्राप्ति का कारण बनाया है,इसी प्रकार जूमा की नमाज़,रमज़ान के रोज़े और तहज्‍जुद,शब-ए-क़द्र की रात्रि की नमाज़,दान व ह़ज और समस्‍त जि़क्र और पुण्‍य के कार्यों को क्षमा प्राप्ति का कारण बनाया है,कभी कभी अल्‍लाह तआ़ला बंदे को किसी ऐसे अ़मल के कारण भी क्षमा कर देता है जिसे वह कोई महत्‍व नहीं देता


रह़मान के बंदो अल्‍लाह के शुभ नाम (الغفور) पर ईमान लाने से बंदा पर अनेक प्रभाव होते हैं,जैसे:अल्‍लाह से प्रेम,बंदों के प्रति उसके कृपा और उनके पापों के क्षमा पर उसका आभार


उन प्रभावों में से यह भी है कि:अल्‍लाह के द्वार से भटके हुए लोगों के लिए आशा का द्वार खुल जाता है,अल्‍लाह क्षमाशील व दयावान का फरमान है:

﴿ قُلْ يَا عِبَادِيَ الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ ﴾ [الزمر: 53]

अर्थात:आप कह दें मेरे उन भक्‍तों से जिन्‍होंने अपने उूपर अत्‍याचार किये हैं कि तुम निराश न हो अल्‍लाह की दया से वास्‍तव में अल्‍लाह क्षमा कर तेता है सब पापों को रिश्‍चय वह अति क्षमी दयावान् है


उन प्रभावों में से यह भी है कि: बंदा अधिक से अधिक पुण्‍य के कार्य करता है,अल्‍लाह तआ़ला का कथन है:

﴿ إِنَّ الْحَسَنَاتِ يُذْهِبْنَ السَّيِّئَاتِ ﴾ [هود: 114]

अर्थात:वास्‍तव में सदाचार दुराचार को दूर कर देते हैं


ह़दीस में आया है कि: एक बलात्‍कारीस्‍त्री को केवल इस लिए क्षमा कर दिया गया कि वह एक कुत्‍ते के पास से गुजरी जो एककुऐं के किनारे बैठा प्‍यास के कारण से जीभ निकाले हांफे जा रहा था और मरने के निकट था तो उस महिला ने अपना मोज़ा निकाला और उसे अपने ओढ़नी से बांध कर उसके लिए कुएं से पानी निकाला,बस इसी कारणवशउसे क्षमा कर दिया गया बोखारी व मुस्लिम


अल्‍लाह के शुभ नाम (الغفور) पर ईमान लाने के प्रभावों में यह भी है कि:बंदा अपने लिए,अपने माता-पिता और मुसलमान भाइयों के लिए अधिक से अधिक क्षमा की दुआ़ और इस्तिग़फार करता है,क्‍योंकि इस्तिग़फार हृदय के रोगों की दवा और पापों को मिटाने का माध्‍यम है,क्षमा की दुआ़ करने से वह व्‍यक्ति भी लाभान्वित होता है जिस के पाप क्षमा कर दिये गए होते हैं,वह इस प्रकार कि उसका श्रेणी में वृद्धि होती है,ह़दीस में आया है: स्‍वर्ग में मनुष्‍य की श्रेणी उच्च की जाती है,वह कहता है:यह कारण से हुआ?उसे कहा जाता है:तेरी संतान की तेरे लिए क्षमा की दुआ़ करने के कारण इसे इब्‍ने माजा ने वर्णित किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा है


अल्‍लाह के शुभ नाम (الغفور) पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह होता है कि:अल्‍लाह के प्रति सुन्‍दर विश्‍वास उतपन्‍न होता है और अच्‍छा आशाबना रहता है, बंदा अपने रब से तौबा करता है और पवित्र परवरदिगार से ह़या करता है,तथा उसका एक प्रभाव यह भी होता है कि: मनुष्‍य लोगों की गलतिओं को माफ करने और उनको छुपाने के लिए अपनी आत्‍मा से लड़ता है,अल्‍लाह तआ़ला ने अपने मुत्तक़ी डरने वाले बंदों के प्रति फरमाया:

﴿ وَالْعَافِينَ عَنِ النَّاسِ ﴾ [آل عمران: 134]

अर्थात:और लोगों के दोष क्षमा करने वाले


तथा फरमाया:

﴿ وَلْيَعْفُوا وَلْيَصْفَحُوا أَلَا تُحِبُّونَ أَنْ يَغْفِرَ اللَّهُ لَكُمْ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ ﴾ [النور: 22]

अर्थात:और चाहिये कि क्षमा कर दें तथा जाने दें,क्‍या तुम नहीं चाहते कि अल्‍लाह तुम्‍हें क्षमा कर दे,और अल्‍लाह अति क्षमी सहनशील है


ह़दीस में आया है कि: एक व्‍यक्ति लोगों को कर्ज दिया करता था,उसने अपने नौकरों को यह कह रखा था कि जब तुम किसी मजबूर के पास जाओ तो उसे माफ कर दिया करो,सम्‍भव है कि अल्‍लाह तआ़ला ऐसा करने से हमें भी माफ करदे,अत: जब उसकी अल्‍लाह तआ़ला से मोलाकात हुई तो अल्‍लाह ने उसे माफ कर दिया मुस्लिम


कितना अच्‍छा होता कि हम आपस में माफी तलाफी को प्रचलित करते,परिजन अपने परिजन के साथ,साथी अपने साथी से साथ,शिक्षक अपने क्षात्र के साथ और पति अपनी पत्‍नी के साथ

أسيرُ الخطايا رهينُ البلايا
كثيرُ الشكايا قليلُ الحيل
يُرَجِّيْك عفوًا وأنتَ الذي
تجودُ على من عصى أو غفل
إلهي أثِبْني إلهي أجبني
ووفِّقْ -إلهي- لخيرِ العمل

 

अर्थात:गलतियों में घिरा व्‍यक्ति कठिनाइयों में दबा होता है,अधिक शिकायत करने वाले व्‍यक्ति के पास समाधान कम होते हैं,वह तुम से क्षमा की आस लगाए बैठा है और तू ही पापी काहिल के साथ भी दया करता है,हे मेरे पालनहार मुझे सवाब प्रदान कर,मेरी प्रार्थना को स्‍वीकार ले और मुझे पुण्‍य के कार्य की तौफीक़ प्रदान कर

صلى الله عليه وسلم

 

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • الله الغفور الغفار (خطبة)
  • خطبة الله الغفور الغفار (باللغة الأردية)
  • الله الستير (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الله الغفور الغفار (خطبة) (باللغة النيبالية)

مختارات من الشبكة

  • خطبة: {وأنيبوا إلى ربكم} (باللغة البنغالية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من مشكاة النبوة (5) "يا أم خالد هذا سنا" (خطبة) - باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • وقفات مع اسم الله العليم (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الثبات عند الابتلاء بالمعصية (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • اللسان بين النعمة والنقمة (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: كيف أتعامل مع ولدي المعاق؟(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: المصافحة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • دور السنة النبوية في وحدة الأمة وتماسكها (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة عن الافتراء والبهتان(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: الشهوات والملذات بين الثواب والحسرة(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • نواكشوط تشهد تخرج نخبة جديدة من حفظة كتاب الله
  • مخيمات صيفية تعليمية لأطفال المسلمين في مساجد بختشيساراي
  • المؤتمر السنوي الرابع للرابطة العالمية للمدارس الإسلامية
  • التخطيط لإنشاء مسجد جديد في مدينة أيلزبري الإنجليزية
  • مسجد جديد يزين بوسانسكا كروبا بعد 3 سنوات من العمل
  • تيوتشاك تحتضن ندوة شاملة عن الدين والدنيا والبيت
  • مسلمون يقيمون ندوة مجتمعية عن الصحة النفسية في كانبرا
  • أول مؤتمر دعوي من نوعه في ليستر بمشاركة أكثر من 100 مؤسسة إسلامية

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 16/2/1447هـ - الساعة: 12:17
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب