• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
 
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    أسوة حسنة (خطبة)
    أحمد بن علوان السهيمي
  •  
    إذا استنار العقل بالعلم أنار الدنيا والآخرة
    السيد مراد سلامة
  •  
    خطبة: أم سليم صبر وإيمان يذهلان القلوب (2)
    د. محمد جمعة الحلبوسي
  •  
    تحريم أكل ما ذبح أو أهل به لغير الله تعالى
    فواز بن علي بن عباس السليماني
  •  
    الكبر
    د. شريف فوزي سلطان
  •  
    الفرق بين إفساد الميزان وإخساره
    د. نبيه فرج الحصري
  •  
    مهمة النبي عند المستشرقين
    عبدالعظيم المطعني
  •  
    ملخص من شرح كتاب الحج (3)
    يحيى بن إبراهيم الشيخي
  •  
    ماذا سيخسر العالم بموتك؟ (خطبة)
    حسان أحمد العماري
  •  
    فقه الطهارة والصلاة والصيام للأطفال
    د. محمد بن علي بن جميل المطري
  •  
    ثمرة محبة الله للعبد (خطبة)
    د. أحمد بن حمد البوعلي
  •  
    خطبة: القلق من المستقبل
    عدنان بن سلمان الدريويش
  •  
    فوائد وعبر من قصة يوشع بن نون عليه السلام (خطبة)
    د. محمود بن أحمد الدوسري
  •  
    خطبة: المخدرات والمسكرات
    الدكتور علي بن عبدالعزيز الشبل
  •  
    {وما النصر إلا من عند الله} ورسائل للمسلمين
    الشيخ محمد عبدالتواب سويدان
  •  
    من أقوال السلف في أسماء الله الحسنى: (الرزاق، ...
    فهد بن عبدالعزيز عبدالله الشويرخ
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

لا تغتابوا المسلمين (خطبة) (باللغة الهندية)

لا تغتابوا المسلمين (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 2/1/2023 ميلادي - 9/6/1444 هجري

الزيارات: 3696

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

मुसलमानों की चुगलीन करो


अनुवादक:

फैजुर रह़मान हि़फजुर रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्‍चात:

र्स्‍वश्रेष्‍ठ बात अल्‍लाह की बात है,सर्वोत्‍तम मार्ग मोह़म्‍मद सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम का मार्ग है,दुष्‍टतम चीज़ें (धर्म में) अविष्‍कार की गईं बिदअ़तें (नवाचार) हैं,और प्रत्‍येक नवाचार गुमराही है।


ईमानी भाइयो आज हमारे चर्चा का विषय एक ऐसा गुणहीनगुण है जिस की मलिनतासे पुरूष एवं महिला,युवा एवं बुढ़े सभों के दामन दूषितहैं,नि:संदेह वह एक समाजी रोग बन चुका है जो मुसलमानों के बीच प्रेम व बंधुत्‍वके संबंध को तार-तार कर रहा है,वह शत्रुता की अग्नि भड़काने का एक बड़ा कारण है,वह बड़ा पाप है,जो ईमान के आलेक को बुझा देता और इह़सान की स्‍थान से मनुष्‍य को गिरा देता हैख,वह क़ब्र की यातना का भी कारण है,अल्‍लाह तआ़ला हमें और आप को उस से सुरक्षित रखे।वह आप के कमाए हुए पुण्‍यों को नष्‍ट करने का कारण है,हम ऐसे हानि से अल्‍लाह की शरण चाहते हैं,उस से हमारा आश्‍य चुगलीहै।


अल्‍लाह के बंदो अल्‍लाह ने हमें चुगलीसे रोका है:

﴿ وَلَا يَغْتَبْ بَعْضُكُمْ بَعْضًا ﴾ [الحجرات: 12]

अर्थात:और न एक-दूसरे की चुगली।


गीबत यह है कि आप अपने भाई की अनुपस्थिति में उसके प्रति ऐ‍सी बात करें जिसे वह नापसंद करता है,अल्‍लाह तआ़ला ने चुगलीसे रोकने के पश्‍चात ऐसा उदाहरणबयान किया जिस से उसकी हीनतास्‍पष्‍ट होती है,अल्‍लाह का कथन है:

﴿ أَيُحِبُّ أَحَدُكُمْ أَنْ يَأْكُلَ لَحْمَ أَخِيهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوهُ ﴾ [الحجرات: 12]

अर्था‍त:क्‍या चाहेगा तुम में से कोई अपने मरे भाई का मांस खाना तुम्‍हें इस से घृणा होगी।


इब्‍ने आ़शूर अपनी तफसीर में लिखते हैं: इस उदाहरण का उद्देश्‍य यह है कि जिस का उदाहरण दिया गया है उसकी हीनताबयान की जाए,ताकि चुगलीकरने वालों के सामने इसकी गंभीरता स्‍पष्‍ट हो सके,क्‍यों कि चुगली लोगों में प्रचलित हो चुकी है,विशेष रूप से इस्‍लाम से पूर्व यह बहुत प्रचलित थी,अत: मुसलमान का अपने ऐसे भाई की चुगलीकरना जो उपस्थित न हो,उस व्‍यक्ति के जैसा है जो अपने भाई को मांस खाए इस स्थिति में कि वह मृत्‍यु हो,अपने आप की रक्षा से विवशहो ।समाप्‍त


आप अधिक फरमाते हैं: अल्‍लाह के फरमान: ﴾ فَكَرِهْتُمُوهُ ﴿ में जो "فا" अक्षर है उसेفائے فصیحہ कहा जाता है,जमीरगाएब (هُ) लौट रही है: ﴾ أَحَدُكُمْ ﴿ की ओर अथवा   ﴾ لَحْمَ ﴿ की ओर।घृणा का आशय नापसंद करना और कुरूप समझना है ।समाप्‍त


हे अल्‍लाह हमें क्षमा फरमा और उन समस्‍त लोगों को जिनहों ने हमारी गीबत की और हमें توبۃ النصوح (सत्‍य तौबा) प्रदान फरमा।


इस्‍लामी भाइयो क्‍या आप ने देखा कि अल्‍लाह ने चुगलीको केसी चीज़ से तुलनाकी है,जब कि हम दिन रात चुगलीमें लगे रहते हैं,चुगलीकी दुष्‍टता और दुष्‍टता आज हमारे लैपटॉप और मोबाइल के द्वारा भी हमारे साथ लगी रहती है,अत: सोशल मीडिया पर किसी विद्धान की तो किसी दाई़ की और कभी खिलाड़ी आदि की चुगली होती रहती है,और विभिन्‍न समुदायों एवं जन‍जातियों का मज़ाक उड़ाया जाता है।


प्रिय सज्‍जनो पाप की गंभीरता का परिसीमन लोगों के हाथ में नहीं बल्कि लोगों पर पालनहार के हाथ में है,और अल्‍लाह के रसूल सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ही इसकी सूचना दे सकते हैं,अधिक चुगलीकरने का मतलब यह नहीं कि वह कोई मामूली पाप है मोआ़ज़ बिन जबल रज़ीअल्‍लाहु अंहु एक यात्रा में रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के साथ थे,मोआ़ज़ फरमाते हैं:एक दिन जबकि हम चल रहे थे मैं आप के निकट हो गया।मैं ने पूछा:हे अल्‍लाह के रसूल मुझे ऐसे अ़मल बताइए जो मुझे स्‍वर्ग में पहुंचादे और नरक से दूर करदे।आप ने फरमाया:तू ने बड़ी महान बात पूछी है और जिस के लिए अल्‍लाह आसान करदे उसके लिए यह आसान भी है।उस के बाद आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने इस्‍लाम के पांच स्‍तंभों का बयान फरमाया और पुण्‍य के अनेक कार्य बतलाए,फिर फरमाया:मैं तुझे चह चीज़ न बताउूं जिस पर ये सब आ‍धारित है मैं ने कहा:क्‍यों नहीं तब आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने अपना जीभ परड़ कर फरमाया:इसे रोके रखना।मैं ने कहा:हे अल्‍लाह के रसूल हम जो बातें करते हैं क्‍या उन पर भी हमारी पकड़ होगी आप ने फरमाया:मोआ़ज़ तेरी मां तुझे रोए।लोगों को (नरक की) अग्नि में चेहरों के बल घसींटने वाली चीज़ अपनी जबानोंकी काटी हुई फसलों के सिवा और क्‍या है ।इसे तिरमिज़ी ने रिवायत किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।


आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया: जिस ने मुझे अपने दोनों पैरों के बीच (गुप्‍तांगों) और अपने दोनों जबड़ों के बीच (जीभ) की जमानत दी तो मैं उसे स्‍वर्ग की जमानत देता हूं ।इसे बोखारी ने रिवायत किया है।


अल्‍लाह के बंदो क्‍या आप ने कभी समुद्रकी यात्रा की है क्‍या आप ने कभी उसके उूपर उड़ान भरी है और उसके लम्‍बाई व चौड़ाई से अचम्भितहुए हैं यह समुद्र जिस के अंदर हमारे युग में प्रयु‍क्‍तपानी बहाए जाते हैं और उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता,यदि मान लें कि चुगली की बात का कोई रंग हो तो उस रंग से समुद्र भी रंगीन हो जाएगा आयशा रज़ीअल्‍लाहु अंहुमा फरमाती हैं:मैं ने अल्‍लाह के रसूल सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम से कह दिया:आप को सफिया में यही प्रयाप्‍त है कि वह ऐसे ऐसे है।कुछ वर्णन करताओं ने कहा:इसका आश्‍य स‍फिया का नाटा होना था।तो अल्‍लाह के रसूल सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया:तुम ने एक ऐसा वाक्‍य कहा है कि यदि उसे समुद्र में मिला दिया जाए तो वह कड़वा हो जाए ।इसे अबूदाउूद ने रिवायत किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।संभव है कि इस प्रकार का वाक्‍य सुनने वाले के अंदर घृणा पैदा करदे।


अल्‍लाह के बंदो चुगली क़ब्र की यातना का एक कारण है,सोनने अबूदाउूद की ह़दीस में आया है: जब मुझे मेराज कराई गई तो मेरा गुजर एक ऐसे समुदाय से हुआ जिन के नाखून तांबे के थे जो अपने चेहरों और सीनों को छील रहे थे।मैं ने पूछा:ऐ जिब्रील यह कौन लोग हैं उन्‍हों ने कहा:यह वे हैं जो दूसरे लोगों का मांस खाते और उनके सम्‍मान से खेलते हैं ।इसे अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।


अल्‍लाह के बंदो हमारे उूपर अनिवार्य है कि हम चुगली से बचें,आपस में एक दूसरे को परामर्श करें और गलत पर टोकें,ह़दीस में आया है: जो व्‍यक्ति अपने भाई के सम्‍मान (उसकी अनुपस्थिति) में बचाए अल्‍लाह तआ़ला क्‍ंयामत के दिन उसके चेहरे को नरक से बचाएगा ।इसे तिरतिज़ी ने रिवायत किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।


गलत को गलत कहने वाला चुगली करने वाले के लिए अधिक सुभचिंतक एवं उसके लिए अधिक चिंतित होता है,उस व्‍यक्ति के तुलना में जो उसके साथ चापलोसी से काम लेता और उसकी हां में हां मिलाता है,इसका कारण यह है कि ऐसा करने वाला चुगली करने वाले को पाप एवं यातना के कारण से रोकता है।


हे अल्‍लाह हम ने अपने उूपर अत्‍याचार किया...हे अल्‍लाह हम तुझ से दिल,जबान,कान और आँख की शुद्धताव अनघता मांगते हैं,आप सब अल्‍लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमा करने वाला है।

 

द्वतीय उपदेश:

الحمد لله...


प्रशंसाओं के पश्‍चात:

जबान एक उपकार है,किन्‍तु कभी यह कष्‍टऔर यातना बन जाती है,वह बड़े बड़े पुण्‍यों का दरवाजा है,इसी प्रकार से वह बड़े बड़े पापों का भी दरवाजा है,उन समस्‍त पापों में सर्वाधिक फैलाहुआएवं गंभीर पाप चुगलीहै,अल्‍लाह तआ़ला इससे बचने और तौबा करने में हमारी सहायता फरमाए।वह ऐसा अ़मल है जिस से गीबत करने वाले के दिल में ईमान की दुर्बलताका पता चलात है,जैसा कि ह़दीस में आया है: ऐ वे लोगो जो अपनी जबानों से ईमान लाए हो मगर ईमान उन के दिलों में नहीं उतरा है,मुसलमानों की बुराई न करो और न उन के कमियों के पीछे पड़ा करो ।इसे अ‍बूदाउूद ने रिवायत किया है और अल्‍बानी ने सह़ी कहा है।


अल्‍लाह के बंदो शैतान ने हमें कितने धोखें में रखा वह इस प्रकार से कि अत्‍यंत निराधार कारणों से हमारे लिए चुगली को सुंदर बना दिया,हां विद्धानों ने यह उल्‍लेख किया है कि ऐसे सही एवं धामिर्क उद्देश्‍य के लिए जाएज़ (वैध) है जिसे बिना चुगलीके प्राप्‍त नहीं किया जा सकता,जैसा कि बहुत से प्रमाणों से इसका पता चलात है,उन कारणों को दो पंक्तियों में जमा कर दिया गया है:

الذمُّ ليسَ بغيبةٍ في ستةٍ
متظلّمٍ ومعرِّفٍ و محذرِ
ولمظهرٍ فسقاً ومستفتٍ ومن
طلبَ الإعانةَ في إزالةِ منكرِ

 

अर्था‍त:छे स्थितियों में चुगलीकरना दुष्‍टनहीं है,पीडि़त के लिए,किसी का परिचय देने वाले अथवा किसी से सचेत करने वाले के लिए,उस व्‍यक्ति की भी चुगलीजाएज़ है जो खुलेआम पाप एवं दुराचार करे,और उस व्‍यक्ति के लिए भी यह जाएज़ है जो फतवा मांगे और जो किसी बुराई को दूर करने के लिए सहायता मांगे।


विद्धानजन फरमाते हैं कि:उदाहरण के लिए उस व्‍यक्ति के लिए चुगलीजाएज़ है जिस का कर्ज़ वापस करने में कर्ज़ लेने वाला टाल मटोल करे,इस लिए अपना पीड़ा बयात करते हुए यह कहना जाएज़ है कि अमुक व्‍यक्ति ने मेरे साथ टाल मटोल किया


किन्‍तु अन्‍य मामलों में उसकी गीबत करना और उसका पाप गिना कर दिल का भड़ास निकालन जाएज़ नहीं।


इस में कोई संदेह नहीं कि मुसलमान कभी कभी बोलने में लड़खड़ा जाता है,अत: उसे अनुमान नहीं हो पाता कि वह जो बोलना चाहता है उसे अनुपस्थित व्‍यक्ति नापसंद करेगा जिस से यह चुगलीहो जाएगी अथवा उसे नापसंद नहीं करेगा जिस के कारण यह बात कहना जाएज़ है,ऐसी स्थिति में हमें डरने की आवश्‍कता है,फोज़ैल बिन अ़याज़ फरमाते हैं: सर्वाधिक डर जबान (चलाने में)अपनाना चाहिए ।


ऐ ईमानी भाइयो मैं यहां कुछ ऐसे कारणों का उल्‍लेख करने जा रहा हूं जिन से हमें चुगलीसे दूर रहने में सहायता मिलेगी इंशाअल्‍लाह:एक कारण यह है कि अल्‍लाह से सहायता मांगें।चुगली से बचने में इस बात से भी सहायता मिलती है कि हम चुगलीकी हीनताको याद रखें,और यह याद रखें कि चुगलीकरना ऐसा ही है जैसे मृत्‍यु का मांस खाना,इससे दूर रहने में सुभचिंतन व भलाई एवं पाप को गलत कहना भी सहायक होता है,तथा सभा में अल्‍लाह को याद करना भी इस विषय में सहायक है क्‍यों कि स्‍मरण से शैतान भाग जाता है।ऐसे लोगों की संगत में रहना जो जबान के पवित्र होते हैं,और शारीरिक मैल जूल एवं तकनीकीमोलाकात से यथासंभव बचना भी गीबत से बचने के कारणों में से हैं,इससे सुरक्षित रहने में जो चाज़ी सहायक होती हैं उन में यह भी य है कि सभा का समय संक्षिप्‍त हो,ज़ोहरी से यह असर मनक़ूल है कि: य‍दि सभा लंबी होती है तो उसमें शैतान का हस्‍तक्षेप सम्मिलित हो जाता है ।चुगली से बचने का एक तरीका यह है कि:यह याद रखा जाए कि गीबत के कारण से पाप लिखे जाते हैं और पुण्‍य मिटाए जाते हैं,इब्‍नुल मोबारक रहि़महुल्‍लाह का कथन है: यदि मैं किसी की करता तो अपने माता-पिता की करता कि वह मेरे पुण्‍य के सर्वाधिक पात्र हैं ।


मैं अपनी बात पैगंबर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम की इस ह़दीस से समाप्‍त करने जा रहा हूं: अल्‍लाह तआ़ला ऐसे बंदे पर कृपा करे जिस के पास सम्‍मान अथवा धन में उसके भाई का कोई बदला हो,फिर वह मरने से हपले ही उस के पास आके दुनिया ही में उस से क्षमा कराले क्‍यों कि क्‍़यामत के दिन न तो उसके पास दीनार होगा और न ही दिरहम,फिर यदि अत्‍याचारी के पास कुछ पुण्‍य होंगे तो उस के पुण्‍यों से बदला लिया जाएगा और यदि उसके पास पुण्‍य भी नहीं होंगे तो पीडि़त के पाप अत्‍याचारी के सर पर डाल दिये जाएंगे ।इसे तिरमिज़ी ने रिवायत किया है और बोखारी के अंदर भी इस प्रकार का वर्णन आया है।

﴿أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ يَعْلَمُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ مَا يَكُونُ مِنْ نَجْوَى ثَلَاثَةٍ إِلَّا هُوَ رَابِعُهُمْ وَلَا خَمْسَةٍ إِلَّا هُوَ سَادِسُهُمْ وَلَا أَدْنَى مِنْ ذَلِكَ وَلَا أَكْثَرَ إِلَّا هُوَ مَعَهُمْ أَيْنَ مَا كَانُوا ثُمَّ يُنَبِّئُهُمْ بِمَا عَمِلُوا يَوْمَ الْقِيَامَةِ إِنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ﴾  [المجادلة: 7].

अर्थात:क्‍या आप ने नहीं देख कि अल्‍लाह जानता है जो (भी) आकाशों तथा धरती में है नहीं होती किसी तीन की काना फूसी परन्‍तु हव उन का चौथा होता है,और न पाँच की पुरन्‍तु वह उन का छटा होता है,और न इस से कम की और न इस से अधिक की परन्‍तु वह उन साथ होता है,वे जहाँ भी हों,फिर वह उन्‍हें सूचित कर देगा उन के कर्मों से प्रलय के दिन,वास्‍तव में अल्‍लाह प्रत्‍येक वस्‍तु से भली-भाँति अवगत।

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • لا تغتابوا المسلمين (خطبة)
  • لا تغتابوا المسلمين (خطبة) (باللغة الأردية)

مختارات من الشبكة

  • خطبة: لا تغتابوا المسلمين (باللغة الإندونيسية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • أختي تغتابنا وتوقع بيننا(استشارة - الاستشارات)
  • ١١٣ تغريدة حول الإسلام ومحاسنه باللغة الإنجليزية وترجمتها باللغة الإيطالية(كتاب - موقع د. ناجي بن إبراهيم العرفج)
  • من تتبع عورة أخيه المسلم تتبع الله عورته(مقالة - آفاق الشريعة)
  • يا غافلا عن عيبه(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الرياح (خطبة) (باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من أحكام اللباس (خطبة باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من دروس رمضان (خطبة) (باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3) (خطبة) (باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (خطبة) (باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • مشروع مركز إسلامي في مونكتون يقترب من الانطلاق في 2025
  • مدينة روكفورد تحتضن يوما للمسجد المفتوح لنشر المعرفة الإسلامية
  • يوم مفتوح للمسجد يعرف سكان هارتلبول بالإسلام والمسلمين
  • بمشاركة 75 متسابقة.. اختتام الدورة السادسة لمسابقة القرآن في يوتازينسكي
  • مسجد يطلق مبادرة تنظيف شهرية بمدينة برادفورد
  • الدورة الخامسة من برنامج "القيادة الشبابية" لتأهيل مستقبل الغد في البوسنة
  • "نور العلم" تجمع شباب تتارستان في مسابقة للمعرفة الإسلامية
  • أكثر من 60 مسجدا يشاركون في حملة خيرية وإنسانية في مقاطعة يوركشاير

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1446هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 18/11/1446هـ - الساعة: 8:24
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب