• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
 
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    فضل العلم ومنزلة العلماء (خطبة)
    خميس النقيب
  •  
    البرهان على تعلم عيسى عليه السلام القرآن والسنة ...
    د. محمد بن علي بن جميل المطري
  •  
    الدرس السادس عشر: الخشوع في الصلاة (3)
    عفان بن الشيخ صديق السرگتي
  •  
    القرض الحسن كصدقة بمثل القرض كل يوم
    د. خالد بن محمود بن عبدالعزيز الجهني
  •  
    الليلة التاسعة والعشرون: النعيم الدائم (2)
    عبدالعزيز بن عبدالله الضبيعي
  •  
    حكم مشاركة المسلم في جيش الاحتلال
    أ. د. حلمي عبدالحكيم الفقي
  •  
    غض البصر (خطبة)
    د. غازي بن طامي بن حماد الحكمي
  •  
    كيف تقي نفسك وأهلك السوء؟ (خطبة)
    الشيخ محمد عبدالتواب سويدان
  •  
    زكاة الودائع المصرفية الحساب الجاري (PDF)
    الشيخ دبيان محمد الدبيان
  •  
    واجب ولي المرأة
    الشيخ محمد جميل زينو
  •  
    وقفات مع القدوم إلى الله (9)
    د. عبدالسلام حمود غالب
  •  
    علامات الساعة (1)
    تركي بن إبراهيم الخنيزان
  •  
    تفسير: (يعملون له ما يشاء من محاريب وتماثيل وجفان ...
    تفسير القرآن الكريم
  •  
    تحية الإسلام الخالدة
    الشيخ عبدالله بن جار الله آل جار الله
  •  
    الشباب والإصابات الروحية
    د. عبدالله بن يوسف الأحمد
  •  
    من فضائل الصدقة (خطبة)
    د. محمد بن مجدوع الشهري
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / السيرة والتاريخ / السيرة
علامة باركود

قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام (باللغة الهندية)

قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 6/10/2022 ميلادي - 10/3/1444 هجري

الزيارات: 6255

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक

पैगंबरी कथा2चमतकार एवं लाभ

 

अनुवादक:

फैजुर रह़मान हि़फजुर रह़मान तैमी

प्रथम उपदेश

प्रशंसाओं के पश्‍चात

मैं आप और स्‍वयं को अल्‍लाह का तक्‍़वाधर्मनिष्‍ठाअपनाने की वसीयत करता हूं,यही वह वसीयत है जो अल्‍लाह ने पूर्व एवं पश्‍चात के समस्‍त क़ौमों को की:

﴿ وَسَارِعُوا إِلَى مَغْفِرَةٍ مِنْ رَبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا السَّمَاوَاتُ وَالْأَرْضُ أُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِينَ ﴾ [آل عمران: 133]

अर्थात:और अपने पालनहार की क्षमा और उस स्‍वर्ग की ओर अग्रसर हो जाओ जिस की चौड़ाई आकाशों तथा धरती के बराबर है,आज्ञाकारियों के लिये तैयार की गयी है


रह़मान के बंदोअल्‍लाह तआ़ला अपने रसूलों का समर्थन ऐसे चमत्‍कारों के द्वारा करता है जिन से उनकी सत्‍यता सिद्ध होती और उनके अनुयायियों का ईमान सशक्‍त होता है,उनके शत्रुओं और उनमें संदेह पैदा करने वालों की बोलती बंद होजाती है,रसूल को अनेक चमत्‍कार दिये गए,उनमें र्स्‍वश्रेष्‍ठ चमत्‍कार पवित्र क़ुरान है


आज हमारे चर्चा का विषय वे आध्‍यात्मिक चमत्‍कार हैं जिन्‍हें सह़ाबा ने महसूस किया और ह़दीस की सत्‍य पुस्‍त्‍कों में वे चमत्‍कार वर्णित हैं,पहले हम ह़दीस का उल्‍लेख करेंगे,फिर उसके लाभों पर प्रकाश डालेंगे:

सह़ीह़ैनबोखारी एवं मुस्लिममें अनस बिन मालिक रज़ीअल्‍लाहु अंहु से वर्णित है कि:ह़ज़रत अबू तलह़ा रज़ीअल्‍लाहु अंहु ने ह़ज़रत उम्‍मे सोलैम से फरमाया:मैं ने पैगंबर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम की आवाज को कमजोर पायामेरे विचार के अनुसार आप को भूक लगी है,क्‍या तुम्‍हारे पास कोई खाने की चीज हैउप पर उन्‍हों ने जौ की कुछ रोटियांनिकालीं फिर अपनी ओढ़नी ली,उसके एक भाग में उनको लपेटा,फिर उन्‍हें मेरे हाथ में छुपा दिया,ओढ़नी का दूसरा भाग मुझे ओढ़ा दिया,उसके बाद उन्‍हों ने मुझे रसूलुल्‍ला सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम की सेवा में भेजा,ह़ज़रत अनस रज़ीअल्‍लाहु अंहु कहते हैं कि मैं उन्‍हें ले कर निकला तो आप मस्जिद में थे और आप के साथ अनेक सह़ाबा भी बैठे हुए थे,मैं आप के निकट जा कर खड़ा हो गया तो आप ने फरमाया:तुम्‍हें अबू त़लह़ा ने भेजा हैमैं ने कहा:जी हां,आप ने फरमाया:खाने के विषय मेंमैं ने कहा:जी हां,आप ने साथ वाले लोगों से फरमाया:उठो और अबू त़लह़ा के यहां चलो,अत: आप वहां से निकले और मैं उनके आगे आगे चला यहां तक कि मैं अबू त़लह़ा के पास आया और उनसे घटना सुनाया,ह़ज़र अबू त़लह़ा ने कहा:उम्‍मे सोलैमअल्‍लाह के रसूल सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम तो लोगों के साथ पधार रहे हैं और हमारे पास कोई ऐसी चीज नहीं जो हम उन्‍हें खिला सकेंह़ज़रत उम्‍मे सोलैम रज़ीअल्‍लाहु अंहु ने कहा:अल्‍लाह और उसके रसूल ही अच्‍छा जानते हैंफिर भी ह़ज़रत अबू त़लह़ा ने आगे बढ़ कर आपका स्‍वागत किया,अब आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के सा‍थ वह भी चल रहे थे, सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया:ऐ उम्‍मे सोलैमजो कुछ तुम्‍हारे पास है उसे ले आओ,ह़ज़रत उम्‍मे सोलैम रोटियां ले कर आईं तो सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने आदेश दिया कि उनके टुकड़े बना दिये जाएं,ह़ज़रत उम्‍मे सोलैम ने कुप्‍पी नीचोड़ कर उन पर कुछ घी डाल दिया,इस प्रकार से वह सालन बन गया,फिर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने उस पर जो अल्‍लाह ने चाहा पढ़ा,फिर आप ने फरमाया:दस व्‍यक्तियों को बोलाओ,अत: उन्‍हें बोला कर खाने की अनुमति दी तो उन्‍हों ने पेट भर के खाया,फिर वे बाहर चले गए तो आप ने फरमाया:और दस व्‍यक्तियों को बोलाओ,उन्‍हें बोलाया गया और खाने की अनुमति दी गई तो उन्‍हों ने भर पेट खाया,फिर वे बाहर चले गए तो आप ने फरमाया:और दस व्‍यक्तियों को बोलाओ,उन्‍हें बोलाया गया और उन्‍हों ने खाया यहां तक कि उनका पेट भर गया,फिर वे चले गए तो आप ने फरमाया:दस व्‍यक्तियों को बोलाओ,इस प्रकार से सारे लोगों ने पेट भर के खाना खाया जबकि वे अस्‍सी लोग थे


मुस्लिम की एक रिवायात में यह शब्‍द आए हैं:पैगंबर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने खाने परअपना हाथ रखा और उस पर بسم اللہ पढ़ी फिर फरमाया:दस व्‍यक्तियों को अंदर आने की अनुमति दो,उन्‍हों ने दस व्‍यक्तियों को अनुमति दी,वे अंदर आए आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया: بسم اللهपढ़ो और खाओतो उन लोगों ने खाया यहां तक कि अस्‍सी80व्‍यक्तियों के साथ ऐसा ही कियादस दस को अंदर बोलाया और بسم اللهपढ़ कर खाने को कहाउसके बाद पैगंबर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम और घर वालों ने खाया औरफिर भीउन्‍हों ने खाना बचा दिया


अल्‍लाह के बंदोइसी प्रकार की एक घटना जाबिर बिन अ़ब्‍दुल्‍लाह रज़ीअल्‍लाहु अंहुमा के साथ भी हुई,बोखारी एवं मुस्लिम ने जाबिर बिन अ़ब्‍दुल्‍लाह रज़ीअल्‍लाहु अंहुमा से वर्णित किया है,उन्‍हों ने फरमाया:जबमदीना की ओरखंदकखोदी गई तो मैं ने अल्‍लाह के रसूल को भूखा पाया,मैं अपनी पत्‍नी के पास आया और कहा कि तेरे पास कुछ है?क्‍योंकि मैं ने रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम को बहुत भूखा पाया है,उसने एक थैला निकाला जिस में एक सातीन किलो से कुछ अधिक जौ थे और हमारे पास बकरी का पला हुआ बच्चा था,मैं ने उसको ज़बह़ किया और मेरीपत्‍नी नेआटा पीसा,वह भी मेरे साथ ही अपना काम समाप्‍त की,मैं ने उसका मांस काट कर हांडी में डाला,उसके बाद रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के पास जाने लगा तो पत्‍नी बोली कि रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम और आप के साथियों के सामने मेरा अपमान मत करनाक्‍योंकि खाना थोड़ा है कहीं अनेक लोगों को न्‍योता न देदेनामैं रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के पास आया और चुपके से कहा कि हे अल्‍लाह के रसूलमैं ने एक बकरी का बच्‍चा ज़बह़ किया है और एक सातीन किलो से कुछ अधिक जौ का आटाजो हमारे पास था,तैयार किया है,आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम कुछ लोगों को अपने साथ ले कर पधारि‍एयह सुन कर अल्‍लाह के रसूल ने पुकारा और फरमाया कि ऐ खंदक वालोजाबिर ने तुम्‍हें न्‍योता दिया है तो चलो,और आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने फरमाया कि अपनी हांडी को मत उतारना और आटेकी रोटी मत पकाना,जब तक मैं न आजाउूं,फिर मैं घर आया और अल्‍लाह के रसूल भी पधारे,आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम आगे आगे थे और लोग आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के पीछे थे,मैं अपनी पत्‍नी के पास आया वह बोली कि तू ही परिशान होगा और लोग तुझे ही बुरा कहेंगे,मैं ने कहा कि मैं ने तो व‍ही किया जो तू ने कहा थाकिन्‍तु रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने घोषणा कर दी और सब को न्‍योता सुना दी,मैं ने वह आटा निकाला तो रसूलुल्‍लाह सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने अपना पवित्र मुंह उसमें डाला और बरकत की दुआ़ की,उसके बादमेरी पतनी सेफरमाया कि एक रोटी पकाने वाली और बोलाले जो तेरे साथ मिलकर पकाए और हांडी में से डोई निकाल कर निकालती जा,उसको उतारना मत,ह़ज़रत जाबिर रज़ीअल्‍लाहु अंहु कहते हैं कि आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम के साथ एक हजार लोग थे,तो मैं क़सम खाता हूं कि सब ने खाया,यहां तक कि छोड़ दिया और लौट गए और हांडी की वही स्थिति थी,उबल रही थी और आटा भी वैसा ही था,अथवा जैसा कि ज़ह़्हाक ने कहा:उसकी रोटियाँ बन रही थींबोखारी व मस्लिम,उपरोक्‍त शब्‍द मुस्लिम के हैं


अल्‍लाह तआ़ला मुझे और आप को क़ुरान व सुन्‍नत की बरकत से लाभान्वित करे,उन में जो आयत एवं नीति की बात आई है,उससे हमें लाभ पहुंचाए,आप अल्‍लाह से क्षमा प्राप्‍त करें,नि:संदेह वह अति क्षमा प्रदान करने वाला है


द्वतीय उपदेश

प्रशंसाओं के पश्‍चात:

पूर्व के दोनों कथाओं में हमारे लिए अनेक चेतावनी व उपदेश एवं लाभ छुपे हुए हैं,जो निम्‍न में हैं:

• पैगंबरी के एक चिन्‍ह का प्रकट होना वह इस प्रकार से कि असाधारण रूप थोड़े से खाने में बरकत एवं अधिकता का चमत्‍कार प्रकट हुआ,अत: अबू त़लह़ा की कहानी में थोड़े से खाने से अस्‍सी80लोग पेट भर के खाए और जाबिर की कथा में एक हजार लोगों ने पेट भर के खाना खाया


• दूसरा चिन्‍ह यह है कि आप सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम ने यह सूचना दी कि यह थोड़ा से खानाउन सभों के लिएप्रयाप्‍त होगा,जैसा कि कुछ वर्णनों में आया है


• तीसरा चिन्‍ह यह है कि:कुछ वर्णनों के अनुसार आप ने अनस रज़ीअल्‍लाहु अन्‍हु से फरमाया:अबू त़लह़ा ने तुम्‍हें भेजा हैअनस रज़ीअल्‍लाहु अंहु कहते हैं कि:मैं ने कहा:जी हां,आप ने फरमाया:खाने के लिएमैंअनस रज़ीअल्‍लाहु अन्‍हु ने कहा:जी हां


• एक लाभ यह भी प्राप्‍त होता है कि:उपहार भेजना मुस्‍तह़ब है,चाहे जिन के लिए भेजा जाए उनके लिए वह कम और मामूली ही क्‍यों न हो,क्‍योंकि यद्यपि वह कम है किन्‍तु कुछ नहीं से तो अच्‍छा है


• एक लाभ यह भी है कि:कष्‍ट एवं परिक्षण र्स्‍वश्रेष्‍ठ लोगो पर ही नाजि़ल होती है,पैगंबर और आप के सह़ाबा रज़ीअल्‍लाहु अंहुम भूक और अन्‍य कठिनाइयोंसेजूझे,सह़ी बोखारी की एक रिवायत है कि:हम खंदक के दिन मिट्टी खोद रहे थे,अचानक एक कठोर चट्टान प्रकट हुआ,सह़ाबा रज़ीअल्‍लाहु अंहुम नबी के समक्ष उपस्थित हुए और कहा:खंदक में एक कठोर चट्टान निकल आया है,आप ने फरमाया:मैं स्‍वयं उतर कर उसे दूर करता हूं,अत: आप खड़े हुए तोभूक के कारणआप के पेट पर पत्‍थरबंधे हुए थे और हम भी तीन दिनों से भूक प्‍यासे थे...


• एक लाभ यह भी निकलता है कि:लोगों की उ‍पस्थिति में अवश्‍यक बातचीत गोपनीयता से कही जा सकती है


∙एक लाभ यह भी निकलता है कि:नबी अति विनीत नम्र थे और अति भूक व प्‍यास के बावजूद स्‍वयं सह़ाबा के साथ कार्य में भाग लेते थे


• तथा यह कि:नबी सह़ाबा रज़ीअल्‍लाहु अंहुम का अधिक ध्‍यान रखते थे


अल्‍लाह के बंदोपैगंबर सलल्‍लाहु अलैहि वसल्‍लम एवं सह़ाबा रज़ीअल्‍लाहु अंहुम की महानता एवं र्स्‍वश्रेष्‍ठता जग जाहिर है,इसके बावजूद उन्‍हों ने जिस दरिद्रता एवं कठिनाई में जीवन गुजारी,उसका यह थोड़ी सी झलक है,हमारे लिए अनिवार्य है कि हमें जो रिज्‍क़ की बहुलता एवं विविधता,एवं आराम के विकसित साधन प्राप्‍त हैं,अल्‍लाह की इन नेमतों एवं आर्शीवादों को अपने हृदय में महसूस करें,और अपने मुंह से अल्‍लाह की प्रशंसा करने में कोई काहिली न करें...तथा अल्‍लाह के आभार के लिए उसके पसंद के कार्य करें और उसकी नाराजगी से बचे,उदाहरण स्‍वरूप फिजूलखर्ची और नमत के अनादर करने से बचें


आप पर दरूद व सलाम भेजते रहें

صلى الله عليه وسلم

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • من مشكاة النبوة (3) ذو العقيصتين (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الاعتراف يهدم الاقتراف (باللغة الهندية)
  • شؤم الذنوب (خطبة) (باللغة الهندية)
  • أسباب التوفيق للعمل الصالح والتقوى (خطبة) (باللغة الهندية)
  • من مشكاة النبوة (1) "يا معاذ بن جبل" (باللغة الهندية)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد (باللغة الهندية)
  • قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام - باللغة البنغالية
  • قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام (خطبة) - باللغة النيبالية

مختارات من الشبكة

  • قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام (خطبة) باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (2) معجزات وفوائد: تكثير الطعام(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد (خطبة) - باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد - باللغة البنغالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد (خطبة) باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (2) معجزات وفوائد (باللغة الأردية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد (باللغة الأردية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قصة نبوية (1) معجزات وفوائد(مقالة - آفاق الشريعة)
  • دروس وفوائد من قصة سيدنا شعيب(مقالة - ثقافة ومعرفة)
  • تعريف القصة لغة واصطلاحا(مقالة - موقع د. أحمد الخاني)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • الدورة الخامسة من برنامج "القيادة الشبابية" لتأهيل مستقبل الغد في البوسنة
  • "نور العلم" تجمع شباب تتارستان في مسابقة للمعرفة الإسلامية
  • أكثر من 60 مسجدا يشاركون في حملة خيرية وإنسانية في مقاطعة يوركشاير
  • مؤتمرا طبيا إسلاميا بارزا يرسخ رسالة الإيمان والعطاء في أستراليا
  • تكريم أوائل المسابقة الثانية عشرة للتربية الإسلامية في البوسنة والهرسك
  • ماليزيا تطلق المسابقة الوطنية للقرآن بمشاركة 109 متسابقين في كانجار
  • تكريم 500 مسلم أكملوا دراسة علوم القرآن عن بعد في قازان
  • مدينة موستار تحتفي بإعادة افتتاح رمز إسلامي عريق بمنطقة برانكوفاتش

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1446هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 9/11/1446هـ - الساعة: 17:29
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب