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الله الرفيق (خطبة) (باللغة الهندية)

الله الرفيق (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

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تاريخ الإضافة: 13/4/2022 ميلادي - 12/9/1443 هجري

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अल्‍लाह साथी एवं दयालु है

 

अनुवादक:

फैजुर रह़मान हि़फजुर रह़मान तैमी.

 

प्रथम उपदेश

प्रशंसाओं के पश्‍चात

मैं आपको और स्‍वयं को अल्‍लाह का तक्‍़वाधर्मनिष्‍ठाअपनाने की वसीयत करता हूँ,क्‍योंकि किसी पाथेय बनाने वाले ने इस जैसा पाथेय नहीं बनाया:

﴿ وَتَزَوَّدُواْ فَإِنَّ خَيْرَ الزَّادِ التَّقْوَى ﴾ [البقرة: 197]

अर्थात:और अपने लिए पाथेय बना लो,उत्‍तम पाथेय अल्‍लाह की आज्ञाकारिता है


और न किसी ने इस से सुन्‍दस व्‍स्‍त्र पहना:

﴿ وَلِبَاسُ التَّقْوَىَ ذَلِكَ خَيْرٌ ﴾ [الأعراف: 26]

अर्थात:और अल्‍लाह की आज्ञाकारिता का वस्‍त्र ही सर्वोत्‍तम है


रह़मान के बंदोबोखारी व मुस्लिम ने आयशा रजी़अल्‍लाहु अंहा से वर्णित किया है,वह कहती हैं:कुछ यहूदियों ने नबी के पास आने की अनुमती मांगी-जब वे आयेतो उन्‍हों ने कहा:السام علیکतुम पर मौत होमैंने उत्‍तर में कहात:बल्कि तुम पर मौत और शराप हो,आपने फरमाया:हे आयशाअल्‍लाह तआ़ला नरमी चाहता है और हर कार्य में नरमी को पसंद करता हैमैं ने कहा:हे अल्‍लाह के रसूलआपने वह नहीं सुना जो उन्‍होंने कहा थाआपने फरमाया:मैं ने कह तो दिया था कि तुम पर भी हो


اللہ اکبر...इस घटना में कितने पाठ छिपे हैं..इस घटना से एक महान पाठ यह प्राप्‍त होता है कि लोगों के साथ नरमी और कृपा का व्‍यवहार करना इस्‍लामी चरित्र का उल्‍लेखनीयसुन्‍दरता है,और यह संपूर्णता की विशेषताओं में से है


तथा इस ह़दीस से एक बड़ा लाभ यह भी मिलता है कि:इस में अल्‍लाह तआ़ला का एक नाम सिद्ध होता है,वह है الرفیقअर्थात:कृपालु


ऐ मेरे मित्रोविद्वानों का कहना है कि अल्‍लाह तआ़ला के प्रत्‍येक नाम से एक विशेषता लाजि़म आती है,अत: अल्‍लाह तआ़ला का एक नाम "الرفیق" है,आइए इस पवित्र नाम से संबंधित कुछ चीज़ों पर विचार करें


शैख सई़द रहि़महुल्‍लाह फरमाते हैं:अल्‍लाह का एक नाम "الرفیق" है,वह अपने कार्यों एवं शरीअ़त में "الرفیق" दयालुहै,आप अधिक फरमाते हैं:जो व्‍यक्ति मख्‍लूको़ं एवं शरीआ़तों व आदेशों पर विचार करेगा कि किस प्रकारसे अल्‍लाह तआ़ला ने उन में पदक्रम का ध्‍यान रखा,तो व आश्‍चर्य रह जाएगाअंत तक


जी हां...यह अल्‍लाह तआ़ला का कृपा है कि उसने मख्‍लूकों को अपनी नीति से क्रमश: पैदा किया,मख्‍लूकों को विभिन्‍न चरणों में पैदा किया,जब कि वह उन्‍हें एक बार में एक लम्‍हे में पैदा करने की शक्ति रखता हैयह अल्‍लाह का धैर्य,‍नीति,ज्ञान एवं दया व कृपा का प्रमाण है


बंदों के साथ अल्‍लाह का कृपा है कि:अह़काम,आदेशों और निषेधों में उन के साथ नरमी व कृपा किया,और इस्‍लामी शरीअ़त को ताइस वर्ष केलंबे समयमें नाजि़ल फरमाया


शरीअ़त के विषय में अल्‍लाह का कृपा यह है कि:वह किसी मनुष्‍य को उसकी सकत से अधिकदायित्व काभार नहीं देता


बंदों के प्रति अल्‍लाह का कृपा है कि:उनके लिए शरीअ़त में छूट रखे जो उनसे कठिनाई को दूर करदेते हैं


अल्‍लाह पाक की दया है कि:वह पापी बल्कि पापों में लत-पत मनुष्‍य को भी छूट देता है और उसे फौरन यातना नहीं देता,ताकि व‍ह अपने परवरदिगार की ओर लौटे,अपने पापों से तौबा करे और हिदायत व सत्‍य की ओर लौट जाए:

﴿ وَرَبُّكَ الْغَفُورُ ذُو الرَّحْمَةِ لَوْ يُؤَاخِذُهُم بِمَا كَسَبُوا لَعَجَّلَ لَهُمُ الْعَذَابَ ﴾ [الكهف: 58]

अर्थात:और आप का पालनहार अति क्षमी दयावान् है,यदि वह उन को के कर्तूतों पर पकड़ता तो तुरन्‍त यातना दे देता


अल्‍लाह तआ़ला का कृपा ही है कि:उसने अपने बंदों को नरमीव कृपा का ओदश दिया और इस पर प्रोत्‍साहित किया,अल्‍लाह के दयालु रसूल फरमाते हैं जैसा कि आयशा रज़ीअल्‍लाहु अंहा ने रिवायत किया है:नरमी जिस चीज़ में भी होती है उसको सुन्‍दर बना देती है और जिस चीज़ से भी न‍रमी निकाल दी जाती है उसे कुरूप करदेती हैमुस्लिम


आपने यह ह़दीस आयशा रज़ीअल्‍लाहु अंहा की कथा में फरमाया जब कठोर प्राण उूंटनी के सा‍थ उनका मामला हुआ,यह इस बात का प्रमाण है कि जानवरों के साथ नरमी करना इस्‍लामी आदेश है,और दूसरी बार आपने यह ह़दीस यहूदियों के एक प्रतिनिधि मंडल के आगमन पर कही,एक अन्‍य ह़दीस में आया है कि:जिस व्‍यक्ति को नम्रता एवं दयालुता से वंचित कर दिया जाए,वह भलाई से वंचित रक दिया जाता हैमुस्लिम


एक तीसरी ह़दीस में आया है कि:अल्‍लाह तआ़ला नरम और कृपालु है और नरमी व कृपा करने वालों को प्रिय रखता हैइसे अह़मद ने वर्णित किया है और अल्‍बानी ने सही़ कहा है


ए‍क चौथी ह़दीस है कि:हे अल्‍लाहजो व्‍यक्ति भी मेरी उम्‍मत के किसी मामले का उत्‍तरदायी बने और उन पर सख्‍ती करे,तू उस पर सख्‍ती फरमा और जो व्‍यक्ति मेरी उम्‍मत के किसी मामले का उत्‍तरदायी बना और उपके साथ नरमी की,तू उसके साथ नरमी फरमामुस्लिम


इनके अतिरिक्‍त भी इस अर्थ की अनेक ह़दीसें आई हैं


नम्रता और दयालुता के विषय में नबी के जीवन की घटनाओं की बात करें तोआपकी जीवनी मेंइसके अनेक उदाहरण मिलते हैं...


अल्‍लाह तआ़ला मुझे और आप को क़ुरान व सुन्‍नत से लाभान्वित करे,उन दोनों में निर्देश एवं नीति की जो बात आई है,उसे हमारे लिए लाभदायक बनाए,अल्‍लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमा प्रादान करने वाला है


द्वितीय उपदेश:


प्रशंसाओं के पश्‍चात:

हे ईमानी भाइयोअल्‍लाह के पवित्र नाम "الرفیق" पर ईमान लाने से मुस्लिम बंदा के जीवन पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं,उनमें से कुछ निम्‍न में हैं:

• अल्‍लाह पाक का प्रेम,आदर और उसकी महानता एवं वैभवका भाव उतपन्न होता है,वह इस प्रकार से कि बंदों के प्रति उसकी कृपा व दया के प्रभाव उसकी रचना और शरीअ़त में प्रकट एवं स्‍पष्‍ट हैं,जबकि वह स्‍क्षम है और मख़लूक़ से बेनयाज है


• अल्‍लाह के महान नाम "الرفیق" का एक प्रभाव यह भी है कि:नम्रता और दयालुता को स्‍वयं अपनाया जाए,ह़दीस में है कि:यह धर्म शक्तिशाली है,इसमें कृपा व दया के साथ प्रवेश हो जाओइस ह़दीस को अल्‍बानी ने ह़सन कहा है,दूसरी ह़दीस है कि:नि:संदेह इस्‍लाम धर्म बहुत आसान है,और जो व्‍यक्ति धर्म में सख्‍तीकरेगा तो धर्म उस पर प्रभावित हो जाएगा,इस लिए संयम अपनाओ औरसंयम के साथनिकट रहो और प्रसन्‍न होजाओबोखारी


• अल्‍लाह के शुभ नाम "الرفیق" पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह भी है कि:सभी के साथ कार्यों एवं कथनों में नम्रता अपनाया जाए,चाहे मोमिन हो अथवा काफिर,यहूदियों के साथ नबी की जो घटना हुई,उसका उल्‍लेख गुजर चुका हैजिस में आपने फरमाया:न्म्रता जिस चीज़ में भी होती है उसको सुंदरता प्रदान करती है और जिस चीज़ से भी नम्रता निकाल दी जाती है उसे दुष्‍ट करदेती हैमुस्लिमनम्रता एवं दयालुता का सबसे अधिक पात्र परिवार एवं परिजन हैं,नबी की ह़दीस है:जब अल्‍लाह तआ़ला किसी घर वालों के साथ खैर व भलाई करना चाहता है,तो उनके अंदर नरमी पैदा करदेता हैइसे अह़मद ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सह़ी कहा है


• अल्‍लाह के शुभ नाम "الرفیق"पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह है कि:जानवारों के साथ नम्रता अपनाई जाए,उन पर अत्‍याचार करने से बचा जाएउस स्त्री आपसे छिपी नहीं जो केवल एक बिल्‍ली को बांधे रखने के कारण नरक में चली जाती है, हमारे लिए ज़ब्‍ह़ और हत्‍या करने के समय भी नम्रता व दयालुता अपनाने अनिवार्य हैजब तुम हत्‍या करो तो उस में भी इह़सानसुंदर व्‍यवहारकरो और जब तुम ज़ब्‍ह़ करो तो अच्‍छे से ज़ब्‍ह़ करो,चाहिए कि ज़ब्‍ह़ करने वाला अपनी छुरी को तैज करले और अपने जानवरों को आराम पहुंचाए


• अल्‍लाह के शुभनाम "الرفیق"पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह भी है कि:अल्‍लाह की प्रमाणित शरीअ़त और बंदों के प्रति उसके कृपा पर अल्‍लाह का आभार व्‍यक्‍त किया जाए और उसकी प्रशंसा की जाए...


अंतिम बात:हमारे पवित्र परवरदिगार नरम और दयालु है,हमारा धर्म नरम और आसान है,हमारे बनी कृपालुओंऔरदयालुओं के सरदार और आदर्श हैं,हमारे उूपर यह अनिवार्य होता है कि हम भी अपने मामलों में नम्रता अपनाएं,अपने आप को इस अभ्‍यस्‍त बनाने का प्रयास करें,केवल अल्‍लाह ही तौफीक देने वाला है,उसका कोई साझी नहीं


दरूद व सलाम भेजें...

 





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