• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
 
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    أيها الداعي! اعزم مسألتك وعظم رغبتك (خطبة)
    د. محمد بن عبدالله بن إبراهيم السحيم
  •  
    أفضل الخلق بعد الأنبياء (خطبة)
    د. محمود بن أحمد الدوسري
  •  
    العام الجديد والتغيير المنشود (خطبة)
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    عام تصرم وعام يتقدم (خطبة)
    الشيخ عبدالله بن محمد البصري
  •  
    فضل صلاة الضحى
    د. أمين بن عبدالله الشقاوي
  •  
    فوائد وأحكام من قوله تعالى: ﴿ قل يا أهل الكتاب ...
    الشيخ أ. د. سليمان بن إبراهيم اللاحم
  •  
    حر الصيف (خطبة)
    د. غازي بن طامي بن حماد الحكمي
  •  
    وما خرفة الجنة؟
    السيد مراد سلامة
  •  
    معنى كلام خديجة رضي الله عنها
    الدكتور أبو الحسن علي بن محمد المطري
  •  
    حياة من الجن وجن من الحيات (خطبة)
    د. محمد بن مجدوع الشهري
  •  
    تحريم صرف الخشية لغير الله تعالى
    فواز بن علي بن عباس السليماني
  •  
    شروط الدعاء
    الشيخ محمد جميل زينو
  •  
    إنهم لن يضروا الله شيئا
    د. خالد النجار
  •  
    تخريج حديث: أن النبي صلى الله عليه وسلم كان يغسل ...
    الشيخ محمد طه شعبان
  •  
    انظروا عمن تأخذون دينكم
    عاقب أمين آهنغر (أبو يحيى)
  •  
    التعليقات العارفية على الحديث المسلسل بالأولية
    د. محمد عارف الأركاني
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (خطبة) (باللغة الهندية)

المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 16/1/2023 ميلادي - 24/6/1444 هجري

الزيارات: 4120

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

प्रलय के दिन सम्मान एवं अपमान पाने वाले लोग (2)


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़ुर रह़मान तैमी

प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


मैं आप को और स्वयं को अल्लाह का तक़्वा (धर्मनिष्ठा) अपनाने की वसीयत करता हूँ,हमारे जो अ़मल अच्छे हैं,हमें उन्हें प्रचुरता से करना चाहिए और अल्लाह से स्वीकृति की दुआ़ करनी चाहिए,और हमारे जो अ़मल बुरे हैं,उन से हमें तौबा करना चाहिए औश्र अल्लाह से क्षमा की दुआ़ करनी चाहिए,क्योंकि हम और आप अभी आख़िरत के लिए अ़मल करने की दुनिया में हैं,अल्लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿ مَنْ كَانَ يُرِيدُ الْعَاجِلَةَ عَجَّلْنَا لَهُ فِيهَا مَا نَشَاءُ لِمَنْ نُرِيدُ ثُمَّ جَعَلْنَا لَهُ جَهَنَّمَ يَصْلَاهَا مَذْمُومًا مَدْحُورًا * وَمَنْ أَرَادَ الْآخِرَةَ وَسَعَى لَهَا سَعْيَهَا وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَأُولَئِكَ كَانَ سَعْيُهُمْ مَشْكُورًا * كُلًّا نُمِدُّ هَؤُلَاءِ وَهَؤُلَاءِ مِنْ عَطَاءِ رَبِّكَ وَمَا كَانَ عَطَاءُ رَبِّكَ مَحْظُورًا * انْظُرْ كَيْفَ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلَى بَعْضٍ وَلَلْآخِرَةُ أَكْبَرُ دَرَجَاتٍ وَأَكْبَرُ تَفْضِيلًا ﴾ [الإسراء: 18 - 21].

अर्थात:जो संसार ही चाहता हो उसे यहीं दे देते हैं,जो हम चाहते हैं,जिस के लिये चाहते हैं,फिर हम उस का परिणाम (परलोक में) नरक बना देते हैं,जिस में वह निन्दित-तिरस्कृत हो कर प्रवेश करेगा।तथा जो परलोक चाहता हो और उस के लिये प्रयास करता हो,और वह एकेश्वरवादी हो,तो वही हैं जिन के प्रयास का आदर सम्मान किया जायेगा।हम प्रत्येक की सहायता करते हैं,इन की भी और उन की भी,और आप के पालनहार का प्रदान (किसी से) निषेधित (रोका हुआ) नहीं है।आप विचार करें कि कैसे हम ने (संसार में) उन में से कुछ को कुछ पर प्रधानता दी है और निश्चय परलोक के पद और प्रधानता और भी अधिक होगी।


ईमानी भाइयोअल्लाह के धर्म पर स्थिर रहने के विषय में संसार के अंदर लोगों की स्थितियां एक दूसरे से विभिन्न हैं,इसी प्रकार से प्रलय में भी उन की स्थितियां एक दूसरे से विभिन्न होंगे:

﴿ أَمْ نَجْعَلُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ كَالْمُفْسِدِينَ فِي الْأَرْضِ أَمْ نَجْعَلُ الْمُتَّقِينَ كَالْفُجَّار ﴾ [ص: 28].

अर्थात:क्या हम कर देंगे उन्हें जो ईमान लाये तथा सदाचार किये उन के समान जो उपद्रवी हैं धरती मेंया कर देंगे आज्ञाकारियों को उल्लंघनकारियों के समान


आदरणीय सज्जनोमह़शर के मैदान में दोनों सहभागीकी जो स्थितियां होंगी,उन की हल्की सी झलक प्रस्तुत कर के आइये हम अपने दिलों में (ईमान व अ़मल की) गतिपैदा करें:

जिन अ़मलों के कारण प्रलय के दिन बंदा मुक्ति पाएगा उन में मुसलमानों की आवश्यकताओं की पूर्ति में प्रयासरत रहना,ज़रूरतमुदों की सहायता करना और दरिद्रों के साथ आसानी करना भी शामिल हैं,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की ह़दीस है: (जिस व्यक्ति ने किसी मुसलमान की संसारिक कठिनाइयों में से किसी कठिनाई को दूर किया,अल्लाह तआ़ला उस की प्रलय की कठिनाइयों में से किसी कठिनाई को दूर करेगा और जिस व्यक्ति ने किसी दरिद्र के लिए आसानी की,अल्लाह तआ़ला उस के लिए संसार एवं प्रलय में आसानी करेगा और जिस ने किसी मुसलमान का दोषछुपाया,अल्लाह तआ़ला दुनिया एवं प्रलय में उस का दोषछुपाएगा और अल्लाह तआ़ला उस समय तक बंदे की सहायता में लगा रहता है जब तक बंदा अपने भाई की सहायता में लगा रहता है) सह़ीह़ मुस्लिम


बोख़ारी और मुस्लिम ने अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णन किया है कि नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: (एक व्यापारी व्यक्ति लोगों से क़र्ज़ का लेन-देन करता था।जब वह देखता कि कोई दरिद्र व्यक्ति है तो अपने कर्मचारियों से कहता कि क़र्ज़ माफ करदो,शायद अल्लाह हमें क्षमा करदे तो अल्लाह तआ़ला ने उस के साथ क्षमा का मामला किया।)।


प्रलय के दिन जो लोग आदर व सम्मान पाएंगे उन में वे लोग भी होंगे जो अपने निर्णय में न्याय पर स्थिर रहते हैं,अपने परिवार वालों और अधीनोंके साथ न्याय करते हैं,ऐसे लोग क़्यामत के दिन उच्च स्थान पर होंगे,रह़मान की दाएं ओर प्रकाश के मिन्बरों पर विराजमान होंगे,और अल्लाह तआ़ला के दोनों हाथ दाएं हैं,सह़ीह़ मुस्लिम में अ़ब्दुल्लाह बिन अ़म्र बिन अलआ़स से वर्णित है कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: (न्याय करने वाले अल्लाह के पास रह़मान तआ़ला की दाएं ओर प्रकाश के मिन्बरों पर विराजमान होंगे और उस के दोनों हाथ दाएं हैं।ये वही लोग होंगे जो अपने न्यायों,अपने परिवार एवं जिन के यह उत्तरदायीहैं उन के मामले में न्याय करते हैं)।


प्रलय के दिन जो लोग आदर व सम्मान पाएंगे उन में शहीद भी होंगे,अत: शहीद को उस दिन कोई भय नहीं होगा जिस दिन सामान्य लोग भय में होंगे,सुनने तिरमिज़ी और इब्ने माजा में मिक़दाम बिन माअ़दी करब से वर्णित है कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अल्लाह के निकट शहीदो के लिए छ पुरस्कार हैं:

(1) रक्त का प्रथम बून्द गिरने के साथ ही उस को क्षमा कर दिया जाता है।

(2) वह स्वर्ग में अपना स्थान देख लेता है।

(3) क़ब्र की यातना से सुरक्षित रहता है।

(4) फज़अ़ अकबर (बड़े घबराहट वाले दिन) से सुरक्षित रहेगा।


(5) उस के सर पर सम्मान का ताज रखा जाएगा जिस का एक याक़ूत दुनिया और उस की समस्त चीज़ों से बेहतर है।


(6) बहत्तर (72) स्वर्ग की ह़ूरों से उस का विवाह किया जाएगा,और उस के सत्तर परिजनों के हित में उस का परामर्श स्वीकार किया जाएगा।इस ह़दीस को अल्बानी ले सह़ीह़ कहा है।


प्रलय के दिन शहीद को जिस आदर एवं सम्मान से अलंकृत किया जाएगा उस में यह भी होगा कि अल्लाह तआ़ला इस स्थिति में उसे क़ब्र से उठाएगा कि उस के घाव से रक्त उमड रहा होगा और उसका सुगंध कस्तूरी की होगी,मुस्लिम ने अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णन किया है कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: (कोई व्यक्ति अल्लाह के मार्ग में घायल नहीं किया गया और अल्लाह अति जानता है कि उस के मार्ग में किसे घायल किया गया मगर वह प्रलय के दिन इस प्रकार से आएगा कि उस के घाव से रक्त उमड रहा होगा,रंग रक्त का होगा और सुगंध कस्तूरी की)।


इब्ने ह़जर लिखते हैं:इस स्थिति में उसे उठाए जाने की नीति यह है कि उस के साथ (यह स्थिति) एक गवाह के रूप में होगी जो उस की फज़ीलत (श्रेष्ठता) व प्रधानताएवं आज्ञाकारिता के लिए अपना प्राण समप्रण कर देने की गवाही दे रही होगी।


मुझे और आप को अल्लाह तआ़ला क़ुर्आन व सुन्नत एवं उन में मौजूद आयत एवं नीति से लाभ पहुँचाए।आप सब अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात:

आदरणीय सज्जनो मैं आप को और स्वयं को आज्ञाकारिता के कार्य करने,निषेद्धों से बचने और पून: तौबा करते रहने की वसीयत करता हूँ,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्ल की ह़दीस है: (लोगोअल्लाह की ओर तौबा किया करो क्योंकि मैं अल्लाह से एक दिन में सौ बार तौबा करता हूँ)।मुस्लिम


मेरे ईमानी भाइयो दुनिया में बंदों के अ़मल विभिन्न होते हैं,इसी प्रकार से आख़िरत में भी उन की स्थितियां विभिन्न होंगे,जैसा कि अल्लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿ أَمْ حَسِبَ الَّذِينَ اجْتَرَحُوا السَّيِّئَاتِ أَنْ نَجْعَلَهُمْ كَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَوَاءً مَحْيَاهُمْ وَمَمَاتُهُمْ سَاءَ مَا يَحْكُمُونَ ﴾ [الجاثية: 21].

अर्थात:क्या समझ रखा है जिन्होंने दुष्कर्म किया है कि हम कर देंगे उन को उन के समान जो ईमान लाये तथा सदाचार किये हैं कि उन का जीवन तथा मरण समान हो जायेवह बुरा कर रहे हैं।


हम ने प्रथम उपदेश में इन भाग्यवानोंकी कुछ स्थितियां सुनीं जिन्हें प्रलय के दिन आदर व सम्मान प्रदान किया जाएगा,आइये अब उन लोगों की स्थितियों पर आलोक डालते हैं जिन्हें हिसाब व किताब के दिन अपमानित किया जाएगा।


उस दिन जिन लोगों को अपमानित होना पड़ेगा उन में वे लोग सम्मिलित हैं जिन के प्रति यह वई़द (धमकी) आई है कि अल्लाह तआ़ला उन से बात नहीं करेगा और न उन को पवित्र करेगा,और उन के लिए दर्दनाक यातना है,उन में वे पादरी और यहूदी राहिब (साधु) भी होंगे जो अल्लाह की अवतरित पुस्तकों को छुपाते हैं और वे विद्धान भी जो शासक को प्रसन्न करने के लिए अथवा संसारिक हित के लिए ज्ञान को छुपाते हैं,उदाहरण स्वरूप यहूदियों के विद्धान एवं ईसाई के राहिब रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की उन गुणों को छुपाते हैं जिन से वे अवगत हैं और आप की पैगंबरी का इंकार करते हैं,जबकि अल्लाह ने उन के विषय में यह सूचना दी कि:

﴿ يَعْرِفُونَهُ كَمَا يَعْرِفُونَ أَبْنَاءَهُمْ ﴾ [البقرة: 146]

अर्थात:वह आप को ऐसे ही पहचानते हैं जैसे अपने पुत्रों को पहचानते हैं।


अल्लाह तआ़ला ने अधिक फरमाया:

﴿ إِنَّ الَّذِينَ يَكْتُمُونَ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ مِنَ الْكِتَابِ وَيَشْتَرُونَ بِهِ ثَمَنًا قَلِيلًا أُولَئِكَ مَا يَأْكُلُونَ فِي بُطُونِهِمْ إِلَّا النَّارَ وَلَا يُكَلِّمُهُمُ اللَّهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَلَا يُزَكِّيهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ ﴾ [البقرة: 174].

अर्थात:वास्तव में जो लोग अल्लाह की उतारी पुस्तक (क़ुर्आन) को छुपा रहे हैं,और उस के बदले तनिक मूल्य प्राप्त कर लेते हैं,वही अपने उदर में केवल अग्नि भर रहे हैं,तथा अल्लाह उन से बात नहीं करेगा,और न उन को विशुद्ध करेगा,और उन्हीं के लिये दु:खदायी यातना है।


यह वई़द (धमकी) दूसरे पापियों को भी सम्मिलित है,सह़ीह़ बोख़ारी की ह़दीस में आया है: (तीन व्यक्ति ऐसे हैं कि अल्लाह तआ़ला प्रलय के दिन उन से बात नहीं करेगा और न उन की ओर दय दृष्टि से देखेगा: एक वह व्यक्ति जिस ने सामान बेचते समय क़सम खाई कि उस का दाम मुझे इससे कहीं अधिक मिल रहा था,जबकि वह इस बात में झूटा था।दूसरा वह व्यक्ति जिस ने अ़सर के पश्चात झूटी क़सम खाई ताकि उससे किसी मुसलमान का धन हथयाले।तीसरा वह व्यक्ति जो शेष जल से लोगों को रोके।अल्लाह तआ़ला उससे फरमाएगा: आज के दिन मैं तुझ से अपना कृपा एवं दया रोक लेता हूँ जैसाकि तूने उस चीज़ को रोका था जिसको तेरे हाथों ने नहीं बनाया था)।


आदरणीय सज्जनोअल्लाह का अवज्ञा सवैद एक तुच्छ कार्य है,किन्तु इसकी दुष्टता उस समय अधिक बढ़ जाती है जब कारण एवं साधन कमज़ोर हों,इसके बावजूद आप उसको करें,यही कारण है कि वृद्धबलात्कारी के प्रति,दरिद्र एवं मुहताज के प्रति,और झूटे राजा एवं शासक के प्रति अधिक कठोर वई़द (धमकी) आई है,अत: सह़ीह़ मुस्लिम की ह़दीस में है: (तीन प्रकार के लोग) हैं जिन से अल्लाह प्रलय के दिन बात नहीं करेगा और न उन को पवित्र करेगा और न उन की ओर देखेगा और उन के लिए दर्दनाक यातना है: बूढ़ा बलात्कारी,झूटा शासक और अभिमानकरने वाला बाल-बच्चों वाला मुहताज)।


यही वई़द (धमकी) दूसरे बड़े पापों के करने वालों के प्रति भी आई है,अत:मुस्लिम ने अपनी सह़ीह़ में अबूज़र रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णन किया है कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: (तीन व्यक्ति ऐसे हैं जिन से अल्लाह तआ़ला प्रलय के दिन न बात करेगा,न उन्हें देखेगा और न उन्हे पवित्र करेगा और उन के लिए नदरनाक यातना होगा। रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह (उपरोक्त) वाक्य फरमाए तो ह़ज़रत अबूज़र रज़ीअल्लाहु अंहु ने कहा: वह तो विफल हो गए और हानि में रहे।आप ने फरमाया: जो व्यक्ति अपना तहबंद (वस्त्र) (भूमी पर अथवा अपने टख़नों से नीचे) लटकाता है,जो व्यक्ति अपने भेंटों पर इह़सान जतलाता है और जो व्यक्ति अपना सामान झूटी क़सम खा कर बेचता है)।


टख़नों से नीचे तहबंद (वस्त्र) लटकाने पर जो वई़द (धमकी) आई है,इस विद्धानों ने ऐसे व्यक्ति के साथ विशेष किया है जो अहंकार के साथ लटकाए,जैसाकि एक दूसरी ह़दीस में आया है: (अल्लाह तआ़ला उस व्यक्ति की ओर दया के साथ नहीं देखेगा जो अहंकार करते हुए अपने कपड़े को भूमि पर घसीट कर चलता है)।सह़ीह़ बोख़ारी व सह़ीह़ मुस्लिम


नैवी फरमाते हैं: (अर्थात उन से इस प्रकार से बात नहीं करेगा जिस प्रकार से ख़ैर व भलाई करने वालों के साथ प्रसन्नता दर्शाते हुए बात करेगा,बल्कि अप्रसन्नता और क्रोध के साथ उन से बात करेगा,उनकी ओर दया दृष्टि से नहीं देखेगा बल्कि उनसे मुँह भेर लेगा,क्योंकि उस का अपने बंदों की ओर देखना दया और कृपा का कारण होगा,और अल्लाह तआ़ला उन को पवित्र नहीं करेगा,अर्थात: पापों से उन्हें पवित्र नहीं करेगा,एक अर्थ यह बयान किया गया है कि:उनकी प्रशंसा नहीं करेगा)।


हे अल्लाहहमें और हमारे मित्रों को प्रलय के दिन सफलता एवं सम्मान प्रदान फरमा।


صلى الله عليه وسلم.

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • المكرمون والمهانون يوم الدين (1)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (1) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (1) (خطبة) (باللغة الهندية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3) (خطبة) (باللغة الهندية)

مختارات من الشبكة

  • المكرمون والمهانون يوم القيامة(مقالة - آفاق الشريعة)
  • مخطوطة اللفظ المكرم بخصائص النبي المكرم(مخطوط - مكتبة الألوكة)
  • أيام الله المعظمة: يوم عرفة ويوم النحر وأيام التشريق(مقالة - موقع الشيخ د. خالد بن عبدالرحمن الشايع)
  • تحلي المعلم والمتعلم بمكارم الأخلاق(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة المكرم في فضل عاشوراء والمحرم(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الحج: فضائل ومكارم (خطبة)(مقالة - ملفات خاصة)
  • منحة الخلاق في مكارم الأخلاق (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: الملائكة عباد مكرمون(مقالة - موقع د. محمود بن أحمد الدوسري)
  • إنما بعثت لأتمم مكارم الأخلاق (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • مكارم الأخلاق في الرسالة المحمدية (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • مشروع للطاقة الشمسية وتكييف الهواء يحولان مسجد في تيراسا إلى نموذج حديث
  • أكثر من 5000 متطوع مسلم يحيون مشروع "النظافة من الإيمان" في زينيتسا
  • في حفل مميز.. تكريم المتفوقين من طلاب المسلمين بمقاطعة جيرونا الإسبانية
  • ندوة دولية في سراييفو تبحث تحديات وآفاق الدراسات الإسلامية المعاصرة
  • النسخة الثانية عشرة من يوم المسجد المفتوح في توومبا
  • تخريج دفعة جديدة من الحاصلين على إجازات علم التجويد بمدينة قازان
  • تخرج 220 طالبا من دارسي العلوم الإسلامية في ألبانيا
  • مسلمو سابينسكي يحتفلون بمسجدهم الجديد في سريدنيه نيرتي

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 4/1/1447هـ - الساعة: 15:25
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب