• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
 
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    الحذر من عداوة الشيطان
    د. عبدالرحمن بن سعيد الحازمي
  •  
    حكم صيام عشر ذي الحجة
    أ. د. حلمي عبدالحكيم الفقي
  •  
    إمام دار الهجرة (خطبة)
    ساير بن هليل المسباح
  •  
    يوم عرفة وطريق الفـلاح (خطبة)
    حسان أحمد العماري
  •  
    العشر مش مجرد أيام... هي فرص عمر
    محمد أبو عطية
  •  
    الدرس الثاني والعشرون: تعدد طرق الخير
    عفان بن الشيخ صديق السرگتي
  •  
    الموازنة بين الميثاق المأخوذ من الأنبياء عليهم ...
    د. أحمد خضر حسنين الحسن
  •  
    أفضل أيام الدنيا: العشر المباركات (خطبة)
    وضاح سيف الجبزي
  •  
    دلالة القرآن الكريم على أن الأنبياء عليهم السلام ...
    د. أحمد خضر حسنين الحسن
  •  
    عظيم الأجر في الأيام العشر
    خميس النقيب
  •  
    فضل التبكير إلى الصلوات (1)
    د. أمين بن عبدالله الشقاوي
  •  
    أحب الأعمال في أحب الأيام (خطبة)
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    مدى مشروعية طاعة المعقود عليها للعاقد في طلب ...
    محمد عبدالرحمن صادق
  •  
    رحلة الروح إلى الله: تأملات في مناسك الحج
    محمد أبو عطية
  •  
    عيد الأضحى فداء وفرحة (خطبة عيد الأضحى المبارك)
    خميس النقيب
  •  
    شعائر وبشائر (خطبة)
    رمضان صالح العجرمي
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

الله الستير (خطبة) (باللغة الهندية)

الله الستير (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 26/10/2022 ميلادي - 30/3/1444 هجري

الزيارات: 4730

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक

[1](दोषोंको छुपाने वाला पालनहार)


प्रथम उपदेश:

يَا من لهُ سترٌ عليّ جميلُ
هل لي إليكَ إذا اعتذرتُ قبولُ
أيّدتني ورحمتني وسترتني
كرَماً فأنتَ لمن رجاك كفيلُ
وَعصيتُ ثمّ رأيتُ عفوكَ واسعاً
وعليّ ستركَ دائماً مسبولُ
فلكَ المحامدُ والممادح في الثنا
يا مَن هو المقصود والمسؤولُ


प्रशंसाओं के पश्चात

मेरे ईमानी भाइयो जिन विभिन्न प्रकार की महानतम प्रार्थनाओं से हृदय में ईमान उतपन्न होता है,जैसे भय व डर,तौबा,प्रेम,आदर,तवक्कुल (विश्वास) एवं अच्छी सोच। क्योंकि ये उन महानतम प्रार्थनाओं में से है जिन से ईमान में वृद्धि होती है और शैतान का षड्यंत्रकमज़ोर पड़ता है:

﴿ وَلِلَّهِ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَى فَادْعُوهُ بِهَا ﴾ [الأعراف: 180]

अर्थात:और अल्लाह ही के शुभ नाम हैं,अत: उसे उन्हीं के द्वारा पुकारो।


सादी रह़िमहुल्लाह अल्लाह के कथन

﴿ فَادْعُوهُ بِهَا ﴾

के विषय में फरमाते हैं: इस में दुआ़ की प्रार्थना एवं आवश्यकता की प्रार्थना दोनों शामिल हैं ।


आज हमारे चर्चा का विषय अल्लाह का एक एैसा पवित्र नाम है जिस का उल्लेख ह़दीस में आया है,अत: याला बिन उमय्या रज़ीअल्लाहु अंहु वर्णन करते हैं कि रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक व्यक्ति को देखा कि वह एक खुले स्थान में कपड़ा बांधे बिना स्नान कर रहा था तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर पर चढ़े और अल्लाह तआ़ला की प्रशंसा की,फिर फरमाया: अल्लाह तआ़ला अति ह़या (लज्जा) वाला और दोषों का छुपाने वाला है,ह़या (लज्जा) और पर्दा को पसंद करता है,तुम में से जब कोई स्नान करने लगे,तो पर्दा करले ।इस ह़दीस को अबूदाउूद और निसाई ने वर्णन किया है और अल्बानी रे इसे सह़ीह़ कहा है।


الستیر में दो वर्णन आए हैं:(ستِّیر) सीन के ज़ेर ता के ज़ेर और तशदीद के साथ।और (سَتِیر) सीन के ज़बर और ता के ज़ेर के साथ। अनेक लोगों की ज़बान पर (یاساتر) अथवा (یا ستّار) प्रचलित हो चुका है,किन्तु ह़दीस में इसका प्रमाण नहीं है,यद्यपि अर्थ में अति निकट है।

وهو الحَيِيُّ فَلَيسَ يَفْضَحُ عَبْدَهُ
عندَ التَّجَاهُرِ مِنْهُ بالعِصْيَانِ
لَكِنَّهُ يُلْقِي عَلَيْهِ سِتْرَهُ
فَهْوَ السَّتِيرُ وصَاحِبُ الغُفْرَانِ

 

अर्थात: वह अति ह़या वाला है इस लिए अपने बंदे को उस समय अपमानित नहीं करता जब वह खुल्लम-खुल्ला अल्लाह की अवज्ञा कर रहा होता है।किन्तु वह उप पर अपना पर्दा डाल देता है क्योंकि वह दोषों का छुपाने वाला (السِتِّیر) और क्षमाशील है।


बैहक़ी फरमाते हैं:ستیر के अर्थ हैं: वह अपने बंदों की अति पर्दापोशी करता है और उन्हें खुले रूप सेअपमानित नहीं करता।इसी प्रकार से अपने बंदों से भी चाहता है कि वह अपने दोषों का छुपाएं और ऐसी चीज़ों से बचें जो उन के लिए शर्म के कारण हों, والله اعلم ।


ईमानी भाइयो अल्लाह का कृपा एवं दया है कि वह अपने बंदों की अति दोषों का छुपाता है और उन्हें अपमानित नहीं करता जबकि बंदा पाप को अवश्य करता है,और वह अपने रब का अधिक मुहताज है,बल्कि वह उन उपकारों के बिना अपने रब का अवज्ञा भी नहीं कर जाता जो अल्लाह तआ़ला उन्हें प्रदान करता है जैसे कान,आँख,जीभ,हृदय अथवा धन आदि।और हमारा दयालु एवं उदारपालनहार जीव एवं उनकी पूजा व आज्ञाकारिता से बेन्याज़ होने के बावजूद अपने बंदे का सम्मान एवं आदर करते हुए उसके दोषों को छुपाता है और उसे तत्कालयातना नहीं देता,उसके लिए दोषों के छुपाने के कारणों को मुहैया करता और तौबा का दरवाजा खोल देता है,उसे शर्मिंदा होने की तौफीक़ प्रदान करता है,उसे क्षमा प्रदान करता है बल्कि उसकी तौबा से प्रसन्न भी होता है:

﴿ وَهُوَ الَّذِي يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَعْفُو عَنِ السَّيِّئَاتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُونَ ﴾ [الشورى: 25]

अर्थात:वही है जो स्वीकार करता है अपने भक्तों की तौबा,तथा क्षमा करता है दोषों को और जानता है जो कुछ तुम करते हो।


तथा अल्लाह तआ़ला ने फरमाया:

﴿ أَلَمْ يَعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ هُوَ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَأْخُذُ الصَّدَقَاتِ وَأَنَّ اللَّهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ ﴾ [التوبة: 104].

अर्थात:क्या वह नहीं जानते कि अल्लाह की अपने भक्तों की क्षमा स्वीकार करता तथा (उन के) दानों को अंगीकार करता है और वास्तव में अल्लाह अति क्षमी दयावान है।


हमारा पवित्र पालनहार यह नापसंद करता है कि बंदा जब पाप करे तो उसका प्रचार करे,बल्कि अल्लाह ने उसे तौबा व इस्तिग़फार का आदश दिया है,(पाप से) पर्दा उठाने और अवज्ञा का प्रचार प्रसार करने से बलपूर्वक रोका है,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं: मेरी समस्त उम्मत को क्षमा प्रदान कर दिया जाएगा सिवाए उसके जो खुले रूप से पाप करते हैं।खुले रूप से पाप करने का मतलब यह है कि एक व्यक्ति रात के समय पाप करता है और अल्लाह तआ़ला उस के पाप पर पर्दा डाला होता है किन्तु हुबह़ होते ही वह कहने गलता है:ए अमुक मैं ने रात अमुक अमुक पाप किया था रात गुजर गई थी और उसके रब ने उसका पाप छुपा रखा था जब सुबह़ हुई तो वह स्वयं पर दिए गए अल्लाह के पर्दे खोलने लगा ।बाख़ारी व मुस्लिम।


इब्ने बत़ाल फरमाते हैं: पाप की घोषणा करना वास्तव में अल्लाह व रसूल के अधिकार को तुच्छ जानना और सदाचारी मोमिनों को अपमानित करना है ।


दोषों का छुपाने वाला पवित्र पालनहार प्रथम पाप पर ही बंदा को बेनकाब नहीं करता यहाँ तक कि वह उस में लत-पत हो जाता है,फारूक़ रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि उनके समक्ष जब किसी चोर ने यह बहाना बताया कि उसने प्रथम बार चोरी की है तो उन्हों ने फरमाया: (तुम ने झूट कहा,अल्लाह तआ़ला प्रथम बार में बंदा को यातना नहीं देता)।


आख़िरत में अल्लाह का दोषों का छुपाना दुनिया की दोषों के छुपाने से कहीं बड़ा प्रदान होगा,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं: अल्लाह तआ़ला मोमिन को अपने निकट बोला लेगा और उस पर अपने आदर का पर्दा डाल कर उसे छुपा लेगा,फिर फरमाएगा:तुझे अपना अमुक पाप पता है तुझे अपना अमुक पाप याद है तो वह कहेगा:जी हाँ,हे रब मुझे पता है यहाँ तक कि उससे समस्त पापों को स्वीकार करा लेगा।और वह व्यक्ति अपने मन में सोचेगा कि वह अब नष्टहो चुका है।उस समय अल्लाह तआ़ला फरमाएगा:मैं ने तुझ पर संसार में पर्दा डाला,आज तेरे लिए उन पापों को क्षमा करता हूँ,फिर पुण्यों का रिकॅाड्र उस के हाथ में दे दिया जाएगा किन्तु काफिर एवं मोनाफिक़ (द्विधावादी) के प्रति गवाह खुल के बोलेगा: ये वे लोग हैं जिन्हों ने अपने रब पर झूट बांधा।सुन लो अत्याचारों पर अल्लाह का शाप है ।(बोख़ारी)


हे अल्लाह!हे सित्तीर हमारे उूपर अपना पर्दा डाल दे,हे क्षमाशील हमें क्षमा प्रदान फरमा,हे रह़ीम हम पर रह़मत अवतरित फरमा,हे तौव्वाब (तौबा स्वीकार करने वाले)!हमारी तौबा स्वीकार करले,हे हादी (हिदायत प्रदान करने वाले)!हमें हिदायत प्रदान फरमा,हे सम्मान व महिमा और आदर वाले पालनहार


द्वतीय उपदेश

प्रशंसाओं के पश्चात:

यह बात आप से छुपी नहीं कि अल्लाह तआ़ला के पवित्र नामों पर ईमान लाने और उनका ज्ञान प्राप्त करने से बंदा के जीवन पर बहुमूल्य प्रभाव प्रड़ते हैं,मैं आप के समक्ष अल्लाह के पवित्र नाम (الستیر) पर ईमान लाने के प्रभाव का उल्लेख करने जा रहा हूँ:

अल्लाह तआ़ला का प्रेम,जो अपने बंदों के प्रति धैर्यवानव सहनशीलहै,उनकी दोष छुपाता है,शक्ति एवं बेन्याज़ी के बावजूद उन्हें तत्कालयातना नहीं देता।


अल्लाह तआ़ला शर्वशक्तिशाली की ह़या (लज्जा),जो अपने बंदे के पाप करते हुए देखता है,फिर भी उसका दोष छुपा देता और उसे तौबा की ओर बोलाता है,इस लिए बंदा को चाहिए कि अपने उस पालनहार से ह़या (लज्जा) करे जो समस्त स्थितियों में उसे देख रहा होता है और उस से कोई भी चीज़ छुपी नहीं।


अल्लाह तआ़ला के पवित्र नाम الستیر पर ईमान लाने का एक प्रभाव यह है कि वह स्वयं अल्लाह की पर्दापोशी का कारण तो है ही साथ ही:अपनी हस्ती एवं जीव की पर्दापोशी की विशेषता भी उससे पैदा होती है,क्योंकि अल्लाह तआ़ला पर्दापोशी करने (ستّیر) वाला है और पर्दापोशी को पसंद फरमाता है:अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर पर आए,उूंची आवाज़ से पुकारा और फरमाया: ए ज़ुबान से इस्लाम लाने वाले लोगां के समूह जिन के दिलों तक ईमान नहीं पहुंचा है मुसलमानों को कष्ट मत दो,उनको शर्म मत दिलाओ और उनके दोषों को न तलाश करो,इस लिए कि जो व्यक्ति अपने मुसलमान भाई के दोष ढूंडता है,अल्लाह तआ़ला उसका दोष ढूंडता है,और अल्लाह तआ़ला जिसका दोष ढूंडता है,उसे अपमानित कर देता है,यद्यपि वह अपने घर के अंदर हो ।इस ह़दीस को तिरमिज़ी ने वर्णन किया है और अल्बानी ने इसे ह़सन कहा है।मानव आत्मा लोगों के भेदों को सुनने में रूचि रखते हैं विशेष रूप से जिससे शत्रुता हो उसके दोषों को सुनने में मनुष्य को अधिक रूचि होती है,बोख़ारी एवं मुस्लिम की मरफूअ़न रिवायत है: जो व्यक्ति किसी मुसलमान का दोष छुपाएगा तो प्रलय के दिन अल्लाह तआ़ला उसके दोष को छुपाएगा ।जब आप किसी मुसलमान का दोष छुपाते हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि पाप एवं दुष्टाता का खंडन करने और उसके साथ भलाई एवं शुभचिंतन करने से आप रुक जाएं,बल्कि उसे परामर्श करने के पश्चात उसका दोष छुपाया जाएगा,और यदि फिर भी वह उसको नहीं छोड़ रहा हो तो उसका मामला उच्च प्राधिकारी तक पहुँचाया जाए और यह चुगली नहीं होगी बल्कि अनिवार्य शुभचिंतन है,जैसा कि विद्धानों ने उल्लेख किया है।

الذمُ ليس بغيبةٍ في ستةٍ
متظلمٍ ومعرفٍ ومحذرِ
ولمظهرٍ فسقا ومستفتٍ ومن
طلبَ الإعانةَ في إزالةِ منكرِ

 

अर्थात: छ लोगों के लिए गीबत करना अवैध नहीं है।पीड़ित,किसी का परिचय करने वाले,किसी से सचेत करने वाल के लिए,पाप एवं दुष्ट करने वाले कीचुगली,फतवा मांगने वाले के लिए और उस व्यक्ति के लिए जो पाप को दूर करने के लिए सहायता मांगे।


अल्लाह के पवित्र नाम का एक प्रभाव यह है कि वह स्वयं अल्लाह की क्षतिछुपानेकी प्राप्ति का कारण तो है ही साथ ही:उस पर ईमान लाने के परिणाम में मनुष्य अल्लाह से प्रार्थना करता है कि संसार एवं आख़िरत में उसकी पर्दापोशी फरमाए,नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ़ थी:

(اللَّهُمَّ اسْتُرْ عَوْرَاتِي، وَآمِنْ رَوْعَاتِي)

हे अल्लाह मेरे दोषों पर पर्दा डाल दे और मेरी परेशानियों से मुझे शांति दे ।औ़रात का आशय मनुष्य के दोष और उस की कमियां और हर वे मामले हैं जिन से उनका भेद खुलना और उस के लिए शर्म के कारण होते हैं,इस में यह भी सम्मिलित है कि मनुष्य की शारीरिक गुप्तांगों की रक्षा हो।अल्लाह की पर्दापोशी प्राप्त करने का एक कारण यह भी है कि निष्कपटतापैदा किया जाए और देखावा से बचा जाए,ह़दीस में है कि: जो व्यक्ति प्रसिद्धि चाहेगा अल्लाह तआ़ला उसकी वंदना सब को सुना देगा,इसी प्रकार से जो कोई लोगों को दिखाने के लिए पुण्य के कार्य करेगा अल्लाह तआ़ला (क़्यामत के दिन) उसका दिखावा प्रकट कर देगा ।(बोख़ारी व मुस्लिम)।


आदरणीय सज्जनो बंदा पर अनिवार्य है कि पापों से दूर रहने के लिए अपनी आत्मा से युद्ध करे:

﴿ وَذَرُوا ظَاهِرَ الْإِثْمِ وَبَاطِنَهُ إِنَّ الَّذِينَ يَكْسِبُونَ الْإِثْمَ سَيُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوا يَقْتَرِفُونَ ﴾ [الأنعام: 120]

अर्थात: (हे लोगो ) खुले तथा छुपे पाप छोड़ दो,जो लोग पाप कमाते हैं वे अपने कुकर्मों का प्रतिकार (बदला) दिये जायेंगे।


जो व्यक्ति किसी पाप को करे उसे चाहिए कि अल्लाह की पर्दापोशी के द्वारा अपने पाप पर पर्दा डाले रखे,तौबा में जल्दी करे और प्रचुर्ता से पुण्य के कार्य करे।

 

 


[1] उपदेश की सामग्री डाक्टर अलबदर की पुस्तक فقه الأسماء الحسنى और शैख़ अलजलील की पुस्तक ولله الأسماء الحسنى से लिया गया है,किन्तु इसमें कुछ वृद्धि भी की गई है।





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • الله الستير (خطبة)
  • الله الستير (باللغة الأردية)
  • بين النفس والعقل (1) (باللغة الهندية)
  • احذر مظالم الخلق (خطبة) (باللغة الهندية)
  • خطبة: لفت الأنظار للتفكر والاعتبار (1) (باللغة الهندية)
  • الدنيا بين الزاد والزهد (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الله الغفور الغفار (خطبة) (باللغة الهندية)
  • الستير جل جلاله، وتقدست أسماؤه

مختارات من الشبكة

  • الستير جل جلاله(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من أقوال السلف في أسماء الله تعالى: (الحيي، الستير)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • معاني أسماء الله سبحانه: الجميل، الحيي الستير، الشافي، الطبيب(مقالة - آفاق الشريعة)
  • شرح اسم الله: الستير(مقالة - موقع د. أمين بن عبدالله الشقاوي)
  • معاني أسماء الله الحسنى ومقتضاها (الستير)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • ضبط اسم الستير وبيان معناه(مقالة - آفاق الشريعة)
  • قول: يا ساتر، أنا عبد مأمور(مقالة - آفاق الشريعة)
  • حراسة الأعراض(مقالة - آفاق الشريعة)
  • إن الله يحب التوابين (خطبة) - باللغة البنغالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الرياح (خطبة) (باللغة الهندية)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • بعد 3 عقود من العطاء.. مركز ماديسون الإسلامي يفتتح مبناه الجديد
  • المرأة في المجتمع... نقاش مفتوح حول المسؤوليات والفرص بمدينة سراييفو
  • الذكاء الاصطناعي تحت مجهر الدين والأخلاق في كلية العلوم الإسلامية بالبوسنة
  • مسابقة للأذان في منطقة أوليانوفسك بمشاركة شباب المسلمين
  • مركز إسلامي شامل على مشارف التنفيذ في بيتسفيلد بعد سنوات من التخطيط
  • مئات الزوار يشاركون في يوم المسجد المفتوح في نابرفيل
  • مشروع إسلامي ضخم بمقاطعة دوفين يقترب من الموافقة الرسمية
  • ختام ناجح للمسابقة الإسلامية السنوية للطلاب في ألبانيا

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1446هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 4/12/1446هـ - الساعة: 18:49
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب