• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    الآمنون يوم الفزع الأكبر (خطبة)
    د. عبد الرقيب الراشدي
  •  
    نعمة وبركة الأمطار (خطبة)
    د. صغير بن محمد الصغير
  •  
    فضائل الحياء (خطبة)
    حامد عبدالخالق أبو الدهب
  •  
    عمل تفضل به غيرك
    د. خالد بن محمود بن عبدالعزيز الجهني
  •  
    خطبة: إصلاح المجتمع، أهميته ومعالمه
    أ. د. حسن بن محمد بن علي شبالة
  •  
    من أراد أن يسلم، فليحذر من داء الأمم (خطبة)
    الشيخ الحسين أشقرا
  •  
    خطبة: وقفات مع شهر رجب
    خالد سعد الشهري
  •  
    تكريم المرأة في الإسلام (خطبة)
    الشيخ أحمد إبراهيم الجوني
  •  
    الهدي النبوي في التعامل مع المخطئ (خطبة)
    عبدالعزيز أبو يوسف
  •  
    العافية (خطبة)
    د. أيمن منصور أيوب علي بيفاري
  •  
    خطبة: الدعاء على الأبناء سهم يرتد
    محمد الوجيه
  •  
    حفظ الأمانات ومحاربة الفساد عبادة ومسؤولية مشتركة ...
    الشيخ أحمد إبراهيم الجوني
  •  
    العيش بأهداف سامية (خطبة)
    د. عبدالرزاق السيد
  •  
    وقفات تربوية مع سورة الناس (خطبة)
    رمضان صالح العجرمي
  •  
    لولا بنو إسرائيل
    د. خالد النجار
  •  
    الأشواق (خطبة)
    د. محمد بن عبدالعزيز بن إبراهيم بلوش ...
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

المكرمون والمهانون يوم الدين (1) (خطبة) (باللغة الهندية)

المكرمون والمهانون يوم الدين (1) (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 14/1/2023 ميلادي - 22/6/1444 هجري

الزيارات: 5005

حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعةأرسل إلى صديقتعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षक:

प्रलय के दिन सम्मान एवं अपमान पाने वाले लोग (1)


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़ुर रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


मेरे ईमानी भाइयो हमारे पालनहार ने अपनी पुस्तक में प्रलय का उल्लेख अति अधिक किया है,उस दिन को विभिन्न गुणों से अलंकृतकिया है,जिन में कुछ गुण ये हैं:प्रलय का दिन,बअ़स (पुन: उठाए जाने) का दिन,बाहर निकलने का दिन,निर्णय का दिन,बदला एवं यातना का दिन,हसरत का दिन,सवैद का दिन,हिसाब व किताब का दिन,बहुत ही निकट आने वाला दिन,हार-जीत का दिन,इकट्ठा होने का दिन,मुलाक़ात का दिन,धमकी का दिन,हांक पुकार का दिन,अल्लाह ने इसे الساعة(प्रलय),  القارعة(खड़का देने वाली), الصاخة(बहरे कर देने वाली), الواقعة(घटित होने वाली) और الغاشية(छुपा लेने वाली) का नाम दिया है।


क़रत़ुबी फरमाते हैं: प्रत्येक वह चीज़ जिस का स्थान बड़ा होता है उसकी विशेषताएं भी विभिन्न होती हैं और उस के नाम भी अधिक होते हैं...फिर फरमाया: चूंकि प्रलय का मामला महान है और उसकी घृणास्पदताअति अधिक हैं,इस लिए अल्लाह तआ़ला ने अपनी पुस्तक में उसे विभिन्न नामों से बयान किया है और अनेक विशेषताओं से अलंकृतकिया है ।


मेरे इस्लामी भाइयो दिलों में प्रोत्साहनव डरपैदा करने के लिए मैं इस महान दिन सम्मान व आदर पाने वाले मोमिनों और यातना पाने वाले पापी मुसलमानों की स्थिति पर आलोक डालने जा रहा हूँ,अल्लाह के बंदो की एक समूह ऐसी होगी-अल्लाह तआ़ला हमें और हमारे मित्रों को उन में सम्मिलित फरमाए-जिसे उस दिन डर नहीं होगा जिस दिन सारे लोग भय में होंगे और उस समय उसे कोई ग़म न होगा जिस समय अन्य लोग उदास होंगे,यह रह़मान के वे औलिया (मित्रगण) होंगे जिन्होंने अल्लाह पर ईमान लाया और उस की आज्ञाकारिता की,ताकि उस दिन की तैयारी कर सकें,उस दिन अल्लाह तआ़ला उन्हें शांति प्रदान करेगा,और जब वे क़ब्रों से उठाए जाएंगे तो रह़मान के फरिश्तें उनका स्वागत करेंगे और उन्हें संतुष्टि दिलाएंगे:

﴿ إِنَّ الَّذِينَ سَبَقَتْ لَهُم مِّنَّا الْحُسْنَى أُوْلَئِكَ عَنْهَا مُبْعَدُونَ * لَا يَسْمَعُونَ حَسِيسَهَا وَهُمْ فِي مَا اشْتَهَتْ أَنفُسُهُمْ خَالِدُونَ * لَا يَحْزُنُهُمُ الْفَزَعُ الْأَكْبَرُ وَتَتَلَقَّاهُمُ الْمَلَائِكَةُ هَذَا يَوْمُكُمُ الَّذِي كُنتُمْ تُوعَدُونَ ﴾ [الأنبياء:101، 103]

अर्थात: (परन्तु) जिन के लिये पहले ही से हमारी ओर से भलाई का निर्णय हो चुका है,वही उस से दूर रखे जायेंगे।वे उस (नरक) की सरसर भी नहीं सुनेंगे और अपनी मन चाही चीज़ों में सदा (मग्न) रहेंगे।उन्हें उदासीन नहीं करेगी (प्रलय के दिन की) बड़ी व्यग्रता,तथा फ़रिश्ते उन्हें हाथों-हाथ ले लेंगे (तथा कहेंगे):यही तुम्हारा वह दिन है जिस का तुम्हें वचन दिया जा रहा था।


उस दिन रह़मान के औलिया (मित्रगण) को संतुष्टि दिलाने के लिए यह आवाज़ लगाई जाएगी:

﴿ يَا عِبَادِ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمُ الْيَوْمَ وَلَا أَنتُمْ تَحْزَنُونَ * الَّذِينَ آمَنُوا بِآيَاتِنَا وَكَانُوا مُسْلِمِينَ ﴾ [الزخرف:68، 69]

अर्थात:हे मेरे भक्तो कोई भय नहीं है तुम पर आज,और न तुम उदासीन होगे।जो ईमान लाये हमारी आयतों पर तथा आज्ञाकारी बन के रहे।


अल्लाह बेहतर जानता है उस शांति एवं संतुष्टि का भेद जिस से अल्लाह अपने मुत्तक़ी बंदो को प्रदना करेगा,यह है कि दुनिया में उन के दिल अल्लाह के डर से भरे थे,जैसा कि अल्लाह तआ़ला ने उनके शब्दों में फरमाया:

﴿ إِنَّا نَخَافُ مِن رَّبِّنَا يَوْماً عَبُوساً قَمْطَرِيراً * فَوَقَاهُمُ اللَّهُ شَرَّ ذَلِكَ الْيَوْمِ وَلَقَّاهُمْ نَضْرَةً وَسُرُوراً ﴾ [الإنسان:10، 11]

अर्थात:हम डरते हैं अपने पालनहार से,उस दिन से जो अति भीषण तथा घोर होगा।तो बचा लिया अल्लाह ने उन्हें उस दिन की आपदा से और प्रदान कर दिया प्रफुल्लता तथा प्रसन्नता।


ह़दीसे क़दसी है कि: अल्लाह तआ़ला का फरमान है:मेरे सम्मान की क़सम मैं अपने बंदे के लिए न दो शांति एवं संतुष्टि एक साथ इकट्ठा करता हूँ और न दो भय व डर,यदि वह दुनिया में मुझ से सुरक्षित रहा तो मैं उस दिन उसे भय में डालुंगा जिस दिन मैं अपने समस्त बंदों को इकट्ठा करूंगा,और यदि वह दुनिया में मुझ से डरा रहा तो मैं उसे उस दिन शांति एवं संतुष्टि प्रदान करुंगा जिस दिन मैं अपने समस्त बंदों को इकट्ठा करुंगा इस ह़दीस को अल्बानी ने सह़ीह़ कहा है।


बंदा के अंदर जिस प्रकार इखलास एवं तौहीद पाई जाएगी उसी प्रकार वह प्रलय के दिन शांति में रहेगा,बोख़ारी व मुस्लिम ने इब्ने मसउू़द रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित किया है,वह फरमाते हैं:जब यह आयत उतरी:

﴿ الَّذِينَ آمَنُوا وَلَمْ يَلْبِسُوا إِيمَانَهُمْ بِظُلْمٍ ﴾

अर्थात:जो लोग ईमान लाये,और अपने ईमान को अत्याचार (शिर्क) से लिप्त नहीं किया।


तो रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सह़ाबा पर यह आयत नागवार गुजरी और उन्होंने आग्रह किया कि: हम में से कौन है जो अपनी आत्मा पर अत्याचार न करता हो तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:आयत का मतलब वह नहीं जो तुम समझते हो।अत्याचार वह है जिस प्रकार लक़मान ने अपने बेटे से कहा था:

﴿ يَا بُنَيَّ لَا تُشْرِكْ بِاللَّهِ إِنَّ الشِّرْكَ لَظُلْمٌ عَظِيمٌ ﴾

अर्थात:हे मेरे पुत्र साझी मत बना अल्लाह का,वास्तव में शिर्क (मिश्रणवाद) बड़ा घोर अत्याचार है।


प्रलय के दिन आदर व सम्मान का एक दृश्य यह भी होगा कि अल्लाह तआ़ला मोमिनों को अपने छाए के नीचे स्थान देगा,अत: जिस समय लोग ह़श्र के मैदान में भीषणधूप के नीचे कठोर घृणास्पदतासे गुज़र रहे होंगे,उस समय मोमिनों का एक समूह रह़मत के अ़र्श के नीचे होगा,उन्हें वह घृणास्पदताएंआ लगेंगी जिन से दूसरे लोग ग्रस्त होंगे,जैसाकि आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें इस की सूचना दी है: सात प्रकार के लोगों को अल्लाह तआ़ला अपने साए में स्थान देगा जिस दिन उस के साए के सिवा और कोई साया न होगा:न्याय करने वाला शासक,वह युवा जो अपने रब की वंदना में पला बढ़ा,वह व्यक्ति जिस का दिल मस्जिदों में अटका रहता हो,वे दो व्यक्ति जो अल्लाह के लिए दोस्ती करें,इकट्ठा हों तो उस के लिए अलग हों तो उस के लिए,वह व्यक्ति जिसे कोई सुन्दर और आदरणीय महिला पाप की ओर बोलाए और वह कहदे:मैं अल्लाह से डरता हूँ,वह व्यक्ति जो इतना छुपा कर दान करे कि उस के बाएं हाथ को भी पता न चले कि उस के दाएं हाथ ने क्या दान करता है और सातवां व्यक्ति जो एकांत में अल्लाह को याद करे तो उस की आंखों से आंसू बह जाए ।(सह़ीह़ बोख़ारी व सह़ीह़ मुस्लिल)।यह साया केवल इन सात प्रकार के लोगो को ही नहीं मिलेगा,बल्कि इब्ने ह़जर ने इस विषय में एक पुस्तक लिखी है जिस का नाम है:"معرفة الخصال الموصلة إلى الظلال إلى ",जिन गुणों के आधार पर यह साया मिलेगा उन में से यह भी है:दरिद्र को मोहलत देना,अथवा उसे क्षमा प्रदान करदेना,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जो व्यक्ति किसी दरिद्र को मोहलत दे अथवा उस का क़र्ज़ माफ करदे तो अल्लाह तआ़ला उसे अपने साए के नीचे स्थान देगा ।सह़ीह़ मुस्लिम।


हे अल्लाह हमें प्रलय के दिन शांति एवं संतुष्टि पाने वालों में सम्मिलित फरमा,हे अल्लाह हमें प्रलय के दिन अपने अ़र्श का साया प्रदान फरमा,आप अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील है।


द्वतीय उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात:

सारे बंदो प्रलय के दिन समान स्थिति में होंगे,बल्कि कुछ मुसलमान ऐसे भी होंगे जिन्होंने पाप किया होगा,उन पापों के कारण वे घृणास्पदताओं,कठिनाइयों और यातनाओं में होंगे,नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिन लोगों के विषय में यह सूचना दी कि वे ह़श्र के मैंदान में यातना पाएंगे,उन में वे लोग भी हैं जो ज़कात नहीं देते,ह़दीसों में आया है कि वे विभिन्न प्रकार की यातना से ग्रस्त होंगे,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:अल्लाह तआ़ला जिसे धन प्रदान करे और वह उसका ज़कात न निकाले तो उस का यह धन प्रलय के दिन एक गंजे सांप के रूप में लाया जाएगा जिस के दोनों जबड़ों र ज़हरीली झाग बह रही होगी और वह तौक़ (हार) कै जैसे उस की गर्दन में पड़ा होगा और उस की दोनों बाछें पकड़ कर कहेगा:मैं तेरा धन हूँ,मैं तेरा ख़ज़ाना हूँ।इस विषय में आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने निम्नलिखित आयत का सस्वर पाठ किया:

﴿ وَلاَ يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ يَبْخَلُونَ بِمَا آتَاهُمُ اللّهُ مِن فَضْلِهِ هُوَ خَيْراً لَّهُمْ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْ سَيُطَوَّقُونَ مَا بَخِلُواْ بِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَلِلّهِ مِيرَاثُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ وَاللّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ ﴾ [آل عمران: 180].

अर्थात:वह लोग कदापि यह न समझें जो उस में कृपण (कंजूसी) करते हैं,जो अल्लाह ने उन को अपनी दया से प्रदान कियाहै कि वह उन के लिये अच्छा है,बल्कि वह उन के लिये बुरा है,जिस में उन्हों ने कृपण किया है,प्रलय के दिन उसे उन के गले का हार बना दिया जायेगा और आकाशों तथा धरती की मीरास (उत्तराधिकार) अल्लाह के लिये है तथा अल्लाह जो कुछ तुम करते हो उस से सूचित है।


सह़ीह़ बोख़ारी व सह़ीह़ मुस्लिम।

सह़ीह़ मुस्लिम में आया है कि: जो भी सोने और चांदी का मालिक उन में से (अथवा उनके दाम में से) उनका अधिकार (ज़कात) नही़ निकालता तो जब प्रलय का दिन होगा (उन्हें) उस के लिए आग की तख़तियां बना दिया जाएगा और उन्हें नरक की आग में गरम किया जाएगा और फिर उन से उसके पहलू,उसके ललाट और उस की पीठ को दागा जाएगा,जब वे (तख़तियां) ठंड हो जाएंगी,उन्हें फिर से उसे के लिए वापस लाया जाएगा,उस दिन जिस की अवधि पचास हज़ार वर्ष है (यह कार्य नियमितता के साथ होता रहेगा) यहाँ तक कि बंदों के मध्य निर्णय कर दिया जाएगा,फरि वह स्वर्ग अथवा नरक की ओर अपना रास्ता देख लेगा ।


अल्लाह के बंदो

ह़श्र के मैदान में जिन लोगों को यातना दिया जाएगा उन में:घमंड व घमंड करने वाले भी होंगे,क्योंकि घमंड व अहंकारअल्लाह के धर्म में एक बड़ा अपराध है,अल्लाह तआ़ला घमंड करने वालों को अति नापसंद करता है,जब अल्लाह तआ़ला बंदों को दोबारा जीवित करेगा तो घमंडियोंको अपमानित बना कर उठाएगा,मुस्नद अह़मद और सुनन तिरमिज़ी की रिवायत है: मोतकब्बिर (घमंड करने वाले) लोगों को प्रलय के दिन मह़शर के मैदान में छोटी छोटी चींटियोंके जैसे लोगों के रूप में बदल दिया जाएगा,उन्हें हर स्थान पे अपमानता ढ़ांपे रहेगी,फिर वह नरक के एक ऐसे कारागारकी ओर हंकाए जाएंगे जिस का नाम बूलस है।उस में उन्हें भड़कती हुई आग उबालेगी,वह उस में नरकवासियों के घावों के पीप पीएंगे जिसे طینۃ الخبالकहते हैं,अर्थात सड़ी हुई दुर्गंध कीचड़ इस ह़दीस को अल्बानी ने ह़सन कहा है।


छोटी छोटी चींटियोंके रूप में उन्हें उठाया जाएगा जिन्हें लोग महत्व नहीं देंगे और अचेतनामें अपने पैर से कुचल देंगे,सह़ीह़ मुस्लिम की मरफूअ़ ह़दीस है: तीन (प्रकार के लोग) हैं जिन से अल्लाह प्रलय के दिन बात नहीं करेगा और न उन को विशुद्ध करेगा,उन में यह भी उल्लेख फरमाया: घमंडकरने वाला बाल बच्चे वाले दरिद्र ।


अल्लाह तआ़ला घमंडियोंके उन नामों को भी नापंसद करता है जिन से वे अपने आप को पुकारते हैं ताकि घमंडव अहंकारऔर प्रभुत्व का प्रदर्शन कर सकें,अत: सह़ीह़ैन (बोख़ारी व मुस्लिम) में अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अल्लाह के निकट सबसे दुष्टतम नाम उस व्यक्ति का होगा जो अपना नाम ملِكِ الأملاكِ (राजाओं का राजा) रखेगा मुस्लिम में यह वृद्धि है: अल्लाह तआ़ला के सिवा कोई सत्य स्वामी नहीं ।


क़ाज़ी (न्यायाधीश) अ़याज़ फरमाते हैं: (ह़दीस में आया शब्द) أخنع के अर्थ है:दुष्टतम और सबसे तुच्छ नाम।


इब्ने बत़ाल कहते हैं:जब यह नाम समस्त नामों से अधिक तुच्छ है तो उस नाम का व्यक्ति इससे भी अधि दुष्ट होगा।


आदरणीय सज्जनो

मह़शर के मैदान में अल्लाह से डरने वालों और अल्लाह के अवज्ञाकारीबंदों की जो स्थितियां होंगी,उन में से कुछ स्थितियों पर हम ने आलोक डाली,हे अल्लाह हम तुझ से तेरी रह़मत को अनिवार्य करने वाली चीज़ों का औश्र तेरे क्षमा के सुनिश्चत होने की मांग करते हैं,और प्रत्येक पुण्यों में से भाग पाने का और प्रत्येक पापों से सुरक्षा मांगते हैं,स्वर्ग की मांग और नरक से मुक्ति चाहते हैं।


صلى الله عليه وسلم.

 





حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعةأرسل إلى صديقتعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات

شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • المكرمون والمهانون يوم الدين (1)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (1) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3) (باللغة الأردية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (2) (خطبة) (باللغة الهندية)
  • المكرمون والمهانون يوم الدين (3) (خطبة) (باللغة الهندية)

مختارات من الشبكة

  • فكأنما وتر أهله وماله (خطبة) - باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • عظمة وكرم (خطبة) - باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: تأملات في بشرى ثلاث تمرات - (باللغة البنغالية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الله الخالق الخلاق (خطبة) – باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة: تأملات في بشرى ثلاث تمرات - (باللغة الإندونيسية)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الله البصير (خطبة) - باللغة البنغالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الله الخالق الخلاق (خطبة) – باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الله الخالق الخلاق (خطبة) – باللغة النيبالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • التعبد بترك الحرام واستبشاعه (خطبة) – باللغة البنغالية(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الله البصير (خطبة) - باللغة الإندونيسية(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • ندوة قرآنية في سراييفو تجمع حفاظ البوسنة حول جمال العيش بالقرآن
  • سلسلة ورش قرآنية جديدة لتعزيز فهم القرآن في حياة الشباب
  • أمسية إسلامية تعزز قيم الإيمان والأخوة في مدينة كورتشا
  • بعد سنوات من المطالبات... اعتماد إنشاء مقبرة إسلامية في كارابانشيل
  • ندوة متخصصة حول الزكاة تجمع أئمة مدينة توزلا
  • الموسم الرابع من برنامج المحاضرات العلمية في مساجد سراييفو
  • زغرب تستضيف المؤتمر الرابع عشر للشباب المسلم في كرواتيا
  • نابريجني تشلني تستضيف المسابقة المفتوحة لتلاوة القرآن للأطفال في دورتها الـ27

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 6/7/1447هـ - الساعة: 10:55
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب