• الصفحة الرئيسيةخريطة الموقعRSS
  • الصفحة الرئيسية
  • سجل الزوار
  • وثيقة الموقع
  • اتصل بنا
English Alukah شبكة الألوكة شبكة إسلامية وفكرية وثقافية شاملة تحت إشراف الدكتور سعد بن عبد الله الحميد
الدكتور سعد بن عبد الله الحميد  إشراف  الدكتور خالد بن عبد الرحمن الجريسي
  • الصفحة الرئيسية
  • موقع آفاق الشريعة
  • موقع ثقافة ومعرفة
  • موقع مجتمع وإصلاح
  • موقع حضارة الكلمة
  • موقع الاستشارات
  • موقع المسلمون في العالم
  • موقع المواقع الشخصية
  • موقع مكتبة الألوكة
  • موقع المكتبة الناطقة
  • موقع الإصدارات والمسابقات
  • موقع المترجمات
 كل الأقسام | مقالات شرعية   دراسات شرعية   نوازل وشبهات   منبر الجمعة   روافد   من ثمرات المواقع  
اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة اضغط على زر آخر الإضافات لغلق أو فتح النافذة
  •  
    السماحة بركة والجشع محق (خطبة)
    عبدالله بن إبراهيم الحضريتي
  •  
    الإمام محمد بن إدريس الشافعي (خطبة)
    د. أيمن منصور أيوب علي بيفاري
  •  
    الله البصير (خطبة) - باللغة البنغالية
    حسام بن عبدالعزيز الجبرين
  •  
    من ترك شيئا لله عوضه خيرا منه (خطبة)
    د. محمود بن أحمد الدوسري
  •  
    بيع وشراء رباع مكة ودورها
    محمد علي عباد حميسان
  •  
    كيف يرضى الله عنك؟ (خطبة)
    أبو سلمان راجح الحنق
  •  
    لطائف من القرآن (1)
    قاسم عاشور
  •  
    تفسير قوله تعالى: {فانقلبوا بنعمة من الله وفضل لم ...
    سعيد مصطفى دياب
  •  
    من أخطاء المصلين (4)
    تركي بن إبراهيم الخنيزان
  •  
    بركة التحصين النبوي عند الجماع
    أبو عاصم البركاتي المصري
  •  
    من أدلة صدقه عليه الصلاة والسلام: تجرده صلى الله ...
    الشيخ عبدالله محمد الطوالة
  •  
    التلاعب بالمواريث (خطبة)
    الشيخ د. إبراهيم بن محمد الحقيل
  •  
    صفة المحبة
    الشيخ عبدالعزيز السلمان
  •  
    رعاية الله تعالى للخليل عليه السلام وكفايته
    د. أحمد خضر حسنين الحسن
  •  
    عندما تصاب بخيبة الأمل
    د. عبدالسلام حمود غالب
  •  
    أمنا أم المؤمنين الطاهرة عائشة رضي الله عنها ...
    فيصل بن عبدالله بن عتيق السريحي
شبكة الألوكة / آفاق الشريعة / منبر الجمعة / الخطب / خطب بلغات أجنبية
علامة باركود

الرياح (خطبة) (باللغة الهندية)

الرياح (خطبة) (باللغة الهندية)
حسام بن عبدالعزيز الجبرين

مقالات متعلقة

تاريخ الإضافة: 25/1/2023 ميلادي - 4/7/1444 هجري

الزيارات: 4077

 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
النص الكامل  تكبير الخط الحجم الأصلي تصغير الخط
شارك وانشر

शीर्षम:

हवाएं


अनुवादक:

फैज़ुर रह़मान ह़िफज़ुर रह़मान तैमी


प्रथम उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चात


अल्लाह तआ़ला के जीव में उस की अनेक अद्भुत निशानियां छुजी हैं,कुछ जीवों को अल्लाह ख़ैर व भलाई एवं रह़मत के साथ भेजता है तो कुछ जीव को यातना के साथ भेजता है,जिस के द्वारा कुछ लोगों की आज़माईश होती है तो कुछ लोगों के लिए वह लाभ का कारण होता है।


मेरे ईमानी भाइयो निकट भूतकाल में हमारे देश के कुछ क्षेत्रोंमें भीषण आंधी चली,आकाश का रंग लाल हो गया और वातावरण मटमैलाहो गई और जो लोग सांस के रोग अथवा दम्मा के रोग से ग्रस्त हैं,उन के लिए बड़ी कठिनाई खड़ी हो गई।


आदरणी नमाज़ियो

आंधी तूफान के विषय में पैगंबर की जीवनी में हमारे लिए तीन विचारणीयपहलू हैं:

प्रथम बिन्दु: आंधी और बादल के दिनों में नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के स्थिति:

इमाम मुस्लिम ने अपनी सह़ीह़ में आयशा रज़ीअल्लाहु अंहा से वर्णन किया है,वह फरमाती हैं:रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम शुभ आदत थी कि जब आंधी अथवा बादल का दिन होता तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के चेहरे पर उस का प्रभाव पहचाना जा सकता था,आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम (घबराहट में) कभी आगे जाते और कभी पीछे हटते,फिर जब वर्षा बरसना आरंभ हो जाता तो आप उससे प्रसन्न हो जाते और वह (प्रथम स्थिति) आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से दूर हो जाती,ह़ज़रत आयशा रज़ीअल्लाहु अंहा ने कहा:मैं ने (एक बार) आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से (इसका कारण) पूछा तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: मैं डर गया कि यह यातना न हो जो मेरी उम्मत पर भेजा गया हो और वर्षा को देख लेते तो फरमाते रह़मत है ।


सह़ीह़ बोख़ारी की एक रिवायत में है: आयशा मुझे इस बात से क्या चीज़ शांति दिला सकती है कि कहीं इन में यातना (न) हो,एक समुदाय आंधी की यातना का शिकार हुई थी और एक क़ौम ने यातना को (दूर) से देखा तो कहा: यह बादल है जो मह पर वर्षा बरसाएगा ।


सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की यह स्थिति है,तो हमारी स्थिति कैसी होनी चाहिए,मुसलमान के लिए अनिवार्य है कि ऐसे समय में वी विनम्रता एवं विनयशीलता को अपनाए।


द्वतीय बिन्दु:अल्लाह की तक़दीर के प्रति अदब अपनाया जाए और आंधी को गाली न दी जाये,क्योंकि अल्लाह तआ़ला ही आंधी को मोकददर करता और दुनिया में उसे भेजता है,शैख़ुल इस्लाम मोह़म्मद बिन अ़ब्दुल वहाब ने किताबुलतौह़ीद में बाब स्थापित किया है:आंधी को गाली देने की मनाही।


ओबै बिन कअ़ब रज़ीअल्लाहु अंहु से वर्णित है कि रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: हवा को गाली न दो,यदि उस में कोई अप्रिय चीज़ देखो तो यह दुआ़ पढ़ो:

(اللَّهُمَّ إِنَّا نَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِ هَذِهِ الرِّيحِ وَخَيْرِ مَا فِيهَا وَخَيْرِ مَا أُمِرَتْ بِهِ وَنَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ هَذِهِ الرِّيحِ وَشَرِّ مَا فِيهَا وَشَرِّ مَا أُمِرَتْ بِهِ)

अर्थात:हे अल्लाह हम तुझ से इस हवा के ख़ैर की मांग करते हैं और वह ख़ैर जो इस में है और वह भलाई जिसका इसे आदेश दिया गया है,और तेरी शरण मांगते हैं इस हवा की दुष्टता से और उस दुष्टता से जो इस में है और इस की दुष्टता से जिसका इसे आदेश दिया गया है।इस ह़दीस को तिरमिज़ी ने वर्णन किया है और कहा कि यह ह़दीस ह़सन सह़ीह़ है और अल्बानी ने इसे सह़ीह़ कहा है।


सह़ीह़ैन (बोख़ारी व मुस्लिम) में अबूहोरैरह रज़ीअल्लाहु अंहु की सह़ीह़ ह़दीस है कि नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:अल्लाह तआ़ला का फरमान है कि आदम की संतान मुझे कष्ट पहुंचाता है।वह युग को बुरा भला कहता है,जबकि मैं ही युग हूँ।मेरे ही हाथ में समस्त मामले हैं।रात दिन को मैं ही फेरता हूँ।


अत: वहा को ठंडा अथवा गरम अथवा तेज़ कहने में कोई दिक्कत नहीं है,जैसा कि अल्लाह तआ़ला का फरमान है:

﴿ وَأَمَّا عَادٌ فَأُهْلِكُوا بِرِيحٍ صَرْصَرٍ عَاتِيَةٍ ﴾ [الحاقة: 6]

अर्थात:तथा आ़द,तो वह ध्वस्त कर दिये गये एक तेज़ शीतल आँधी से।


तथा क़ौमे समूद के विषय में अल्लाह ने कहा:

﴿ وَقَالَ هَـذَا يَوْمٌ عَصِيبٌ ﴾ [هود: 77].

अर्थात:और कहा: यह तो बड़ी विपता का दिन है।


सह़ीह़ मुस्लिम में आ़यशा रज़ीअल्लाहु अंहा की यह ह़दीस है कि:जब तेज़ हवा चलती तो नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम यह दुआ़ किया करते:

"اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَا فِيهَا وَخَيْرَ مَا أُرْسِلَتْ بِهِ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهَا وَشَرِّ مَا فِيهَا وَشَرِّ مَا أُرْسِلَتْ بِهِ".


अर्थात: (हे अल्लाह मैं तुझ से इसका ख़ैर व भलाई मांगता हूँ।और जो इस में है उसकी और जो कुछ इसके द्वारा भेजा गया है उसका ख़ैर मांगता हूँ और इस की दुष्टता से और जो कुछ इस में है और जो इस में भेजा गया है उस की दुष्टता से तेरी शरण चाहता हूँ)।


रही बात इस दुआ़ की:

"اللهم اجعلها رياحا ولا تجعلها ريحا "

तो यह एक ज़ई़फ रिवायत है,इसे अल्बानी आदि ने ज़ई़फ कहा है।


ऐ आदरणीय सज्जनो यह हवा जिस में हम हर पल सांस ले रहे,अल्लाह का बड़ा उपकार है,जब यह हवा थोड़ी देर के लिए गंला हो जाती है तो उस समय हमें अपनी विवशता पर विचार करना चाहिए:

﴿ ظَهَرَ الْفَسَادُ فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ أَيْدِي النَّاسِ لِيُذِيقَهُم بَعْضَ الَّذِي عَمِلُوا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ ﴾ [الروم: 41]

अर्थात:फैला गया उपद्रव जल तथा थल में लोगों के करतूतों के कारण,ताकि वह चखाये उन का कुछ कर्म,संभवत: वह रुक जायें।


तथा फरमाया:

﴿ وَمَا نُرْسِلُ بِالآيَاتِ إِلاَّ تَخْوِيفاً ﴾ [الإسراء: 59]

अर्थात:और हम चमत्कार डराने के लिये ही भेजते हैं।


क़तादह कहते हैं: नि:संदेह अल्लाह तआ़ला जिन निशानियों के द्वारा चाहता है,अपने बंदों को डराता है ताकि वह रुक जाएं।समाप्ति


﴿ وَمَا أَصَابَكُم مِّن مُّصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَن كَثِيرٍ ﴾ [الشورى: 30].

अर्थात:और जो भी दु:ख तुम को पहुँचात है वह तुम्हारे अपने कर्तूत से पहुँता है तथा वह क्षमा कर देता है तुम्हारे बहुत से पापों को।


इसका उत्तर यह है कि जो उस कठिनाई को फेरने वाला है उसकी ओर लौटा जाए:

﴿ فَلَوْلا إِذْ جَاءهُمْ بَأْسُنَا تَضَرَّعُواْ ﴾ [الأنعام: 43].

अर्थात:तो जब उन पर हमारी यातना आई तो वह हमारे समक्ष झुक क्यों नहीं गये?


अल्लाह तआ़ला हमें और आप को क़ुर्आन व सुन्नत की बरकतों से माला-माल फरमाए और इन में जो आयत व नीति है,उन्हें हमारे लिए लाभदायक बनाए,आप सब अल्लाह से क्षमा मांगें,नि:संदेह वह अति क्षमाशील बड़ा दयालु है।


द्वतीय उपदेश:

प्रशंसाओं के पश्चाता:

अल्लाह के बंदो

आंधी और हवा अल्लाह की निशानियों में से है जो अल्लाह के एकेश्वरवाद एवं रब होने पर साक्ष हैं,अल्लाह तआ़ला ने क़ुर्आन में विभिन्न स्थानों पर इसकी क़सम खाई है,अत: अल्लाह फरमाता है:

﴿ وَالذَّارِيَاتِ ذَرْوًا ﴾ [الذاريات: 1]

अर्थात:शपथ है ﴾ बादलों को ﴿ बिखेरने वालियों की!


﴿ وَالْمُرْسَلَاتِ عُرْفاً * فالعاصفات عصفا ﴾ [المرسلات: 1،2].

अर्थात:शपथ है भेजी हुई निरन्तर धीनी वायुओं को!

अल्ला तआ़ला ने हवाओं के दिशाबदलने का उल्लेख इन निशानियों के साथ किया है जो उसकी रुबूबियत व उुलूहियत पर साक्ष हैं,अल्लाह का कथन है:


﴿... وَتَصْرِيفِ الرِّيَاحِ وَالسَّحَابِ الْمُسَخِّرِ بَيْنَ السَّمَاء وَالأَرْضِ لآيَاتٍ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ ﴾ [البقرة: 164]

अर्थात:तथा वायुओं को फेरने में,और उन बादलों में जो आकाश और धरती के बीच उस की आज्ञा के अधीन रहते हैं।


तथा फरमाया:

﴿ وَتَصْرِيفِ الرِّيَاحِ آيَاتٌ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ ﴾ [الجاثية: 5].

अर्थात:तथा वहाओं के फेरने में बड़ी निशानियाँ हैं उन के लिये जो समझ-बूझ रखते हैं।


हवा का मामला और इस का रचना बहुत आश्चर्यजनक है,वह ऐसी तत्वों से बनी है जिन्हें आप देख नहीं सकते,पेड़ों को उख़ाड़ फेंकती है,समुद्री मौजों में उठान पैदा करदेती है,कभी कभी तो घरों को भी गिरा देती है,कभी ठंडी वहा होती है तो कभी गरम,कभी मोसम को सुहावनाबना देती है तो कभी ठंडक में तापपैदा कर देती है।


वहा अल्लाह तआ़ला की एक सेना है जिसे अल्लाह ने अपने नबी सुलैमान के अधीन किया:

﴿ وَلِسُلَيْمَانَ الرِّيحَ غُدُوُّهَا شَهْرٌ وَرَوَاحُهَا شَهْرٌ ﴾ [سبأ: 12]

अर्थात:तथा (हम ने वश में कर दिया) सुलैमान के लिये वायु हो उस का प्रात: चलना एक महीने का तथा संध्या का एक महीने का।


अल्लाह ने वहा के द्वारा अपने नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की सहायता की उस दिन जबकि समस्त समूह आपके विरुद्ध इकट्ठा होगए:

﴿ فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ رِيحاً وَجُنُوداً لَّمْ تَرَوْهَا ﴾ [الأحزاب: 9]

अर्थात:तो भेजा हम ने उन पर आँधी और एैसी सेनाएं जिन को तुम ने नहीं देखा।


बोख़ारी व मुस्लिम की मरफूअ़ ह़दीस है,इब्ने अ़ब्बास वर्णन करते हैं: बादे सबा (पूर्वी हवा )से मेरी सहायता की गई और क़ौमे आ़द को पश्चमी हवा से नष्ट किया गया ।


इब्ने ह़जर कहते हैं:सबा पूर्वी हवा को कहते हैं औरدَبُورपश्चमी हवा को।


अल्लाह के बंदो

यहाँ एक महत्वपूर्ण बात की ओर संकेत करना भी अच्छा मालूम पड़ता है वह यह कि संसार में घटित होनी वाली परिवर्तनों के यद्यपि प्राकृतिककारण एवं कारक होते हैं,किन्तु धार्मिक कारणों से उन्हें अलग करके देखना उचित नहीं,जैसाकि सूरह रूम की आयत है:

﴿ ظَهَرَ الْفَسَادُ فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ أَيْدِي النَّاسِ لِيُذِيقَهُم بَعْضَ الَّذِي عَمِلُوا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ ﴾ [الروم: 41]

अर्थात:फैल गया उपद्रव जल तथा थल में लोंगों के करतूतों के कारण,ताकि वह चखाये उन को उन का कुछ कर्म,संभवत: वह रुक जायें।


तथा अल्लाह ने फरमाया:

﴿ وَمَا أَصَابَكُم مِّن مُّصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَن كَثِيرٍ ﴾ [الشورى: 30].

अर्थात:और जो भी दु:ख तुम को पहुँचता है वह तुम्हारे अपने कर्तूतों से पहुँचता है,तथा वह क्षमा कर देता है तुम्हारे बहुत से पापों को।


उदाहरण स्वरूप जमीनी कसट्रोल में कमजोरी पैदा होने से भूकंप आते हैं,किन्तु प्रश्न यह है कि कसट्रोल को कौन कमजोर करता है नि:संदेह वह उसकी रचना करने वाला सर्वश्रेष्ठ अल्लाह है।


صلى الله عليه وسلم.

 





 حفظ بصيغة PDFنسخة ملائمة للطباعة أرسل إلى صديق تعليقات الزوارأضف تعليقكمتابعة التعليقات
شارك وانشر

مقالات ذات صلة

  • الرياح ( خطبة )
  • الرياح (باللغة الأردية)

مختارات من الشبكة

  • السماحة بركة والجشع محق (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • الإمام محمد بن إدريس الشافعي (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • من ترك شيئا لله عوضه خيرا منه (خطبة)(مقالة - موقع د. محمود بن أحمد الدوسري)
  • كيف يرضى الله عنك؟ (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • التلاعب بالمواريث (خطبة)(مقالة - موقع الشيخ إبراهيم بن محمد الحقيل)
  • أمنا أم المؤمنين الطاهرة عائشة رضي الله عنها (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)
  • خطبة التوحيد بين الواقع والمأمول(محاضرة - مكتبة الألوكة)
  • أدب التثبت في الأخبار (خطبة)(مقالة - موقع د. محمود بن أحمد الدوسري)
  • موقف الرسول صلى الله عليه وسلم من الديون (خطبة)(مقالة - موقع الشيخ عبدالرحمن بن سعد الشثري)
  • المحافظة على المال العام (خطبة)(مقالة - آفاق الشريعة)

 



أضف تعليقك:
الاسم  
البريد الإلكتروني (لن يتم عرضه للزوار)
الدولة
عنوان التعليق
نص التعليق

رجاء، اكتب كلمة : تعليق في المربع التالي

مرحباً بالضيف
الألوكة تقترب منك أكثر!
سجل الآن في شبكة الألوكة للتمتع بخدمات مميزة.
*

*

نسيت كلمة المرور؟
 
تعرّف أكثر على مزايا العضوية وتذكر أن جميع خدماتنا المميزة مجانية! سجل الآن.
شارك معنا
في نشر مشاركتك
في نشر الألوكة
سجل بريدك
  • بنر
  • بنر
كُتَّاب الألوكة
  • قازان تحتضن أكبر مسابقة دولية للعلوم الإسلامية واللغة العربية في روسيا
  • 215 عاما من التاريخ.. مسجد غمباري النيجيري يعود للحياة بعد ترميم شامل
  • اثنا عشر فريقا يتنافسون في مسابقة القرآن بتتارستان للعام السادس تواليا
  • برنامج تدريبي للأئمة المسلمين في مدينة كارجلي
  • ندوة لأئمة زينيتسا تبحث أثر الذكاء الاصطناعي في تطوير رسالة الإمام
  • المؤتمر السنوي التاسع للصحة النفسية للمسلمين في أستراليا
  • علماء ومفكرون في مدينة بيهاتش يناقشون مناهج تفسير القرآن الكريم
  • آلاف المسلمين يجتمعون في أستراليا ضمن فعاليات مؤتمر المنتدى الإسلامي

  • بنر
  • بنر

تابعونا على
 
حقوق النشر محفوظة © 1447هـ / 2025م لموقع الألوكة
آخر تحديث للشبكة بتاريخ : 28/5/1447هـ - الساعة: 16:9
أضف محرك بحث الألوكة إلى متصفح الويب